कोरोना’ जैसे विषाणुओं को रोकने का रामबाण इलाज “अग्निहोत्र”

08 अप्रैल 2020

*🚩वेदकाल से भारत में यज्ञकर्म किए जाते हैं । भारतीय संस्कृति में यज्ञयागों का आध्यात्मिक लाभ तो है ही, परंतु वैज्ञानिक स्तर पर भी अनेक लाभ होते हैं, यह अब विज्ञान द्वारा सिद्ध हो रहा है । इसमें एक सहज सरल और प्रतिदिन किया जानेवाला यज्ञ है ‘अग्निहोत्र’ ! हिन्दू धर्म मानवजाति को दी हुई यह एक अमूल्य देन है । अग्निहोत्र नियमित करने से वातावरण की बड़ी मात्रा में शुद्धि होती है । इतना ही नहीं, उसे करनेवाले व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है । साथ ही वास्तु और पर्यावरण की भी रक्षा होती है ।*

*🚩अग्निहोत्र प्राचीन वेद-पुराणों में वर्णित एक साधारण धार्मिक संस्कार है, जो प्रदूषण को अल्प करने तथा वायुमंडल को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने हेतु किया जाता है ।*

*🚩अग्निहोत्र के कारण निर्माण होनेवाले औषधियुक्त वातावरण के कारण रोगकारक किटाणुओं के बढने पर प्रतिबंध लगता है, तथा उनका अस्तित्व नष्ट होने में सहायता होती है । इसलिए ही वर्तमान में जगभर में उत्पात मचानेवाले ‘कोरोना वायरस’ के संकट पर ‘अग्निहोत्र’ एक रामबाण उपाय हो सकता है। इस पार्श्‍वभूमि पर सभी हिन्दू बंधू सभी प्रकार की वैद्यकीय जांच, उपचार, प्रतिबंधात्मक उपाय इत्यादि करते हुए देश में ‘करोना’ का प्रादुर्भाव रोकने के लिए तथा समाज को अच्छा आरोग्य और सुरक्षित जीवन जीने के लिए सूर्यादय और सूर्यास्त के समय ‘अग्निहोत्र’ करें, ऐसा आह्वान हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया है ।*

*🚩अग्निहोत्र करने के लिए किसी भी पुरोहित को बुलाने की, दानधर्म करने की आवश्यकता नहीं होती । इसके लिए कोई भी बंधन नहीं है । सामान्य व्यक्ति यह विधि घर, खेत, कार्यालय में मात्र 10 मिनट में कहीं भी कर सकता है । इसका खर्च भी अत्यल्प है । अग्निहोत्र नित्य करने से धर्माचरण तो होगा ही, परंतु पर्यावरण के साथ ही समाज की भी रक्षा होगी ।*
*‘अग्निहोत्र’ के संदर्भ में अनेक वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं । उसकी विपुल जानकारी इंटरनेट के माध्यम से हम प्राप्त कर सकते हैं ।*

*🚩फ्रान्स के ट्रेले नाम के वैज्ञानिक ने हवन पर किए अनुसंधान में हवन करने से वातावरण में 96 प्रतिशत घातक विषाणु और किटाणू कम होना दिखाई दिया है; उस विषय में ‘एथ्नोफार्माकोलॉजी 2007’ के जर्नल में शोधनिबंध प्रकाशित हुआ था । ‘नेशनल केमिकल लेबोरेटरी’ इस संस्था के निवृत्त ज्येष्ठ शास्त्रज्ञ डॉ. प्रमोद मोघे द्वारा किए गए अनुसंधान के अनुसार अग्निहोत्र के कारण वातावरण में सूक्ष्म किटणुओं की वृद्धि 90 प्रतिशत से कम हुई है; प्रदूषित हवा के घातक सल्फरडाय ऑक्साईड के प्रमाण दस गुना कम होता है; पौधों की वृद्धि नियमित की अपेक्षा अधिक होती है; अग्निहोत्र की विभूति कीटाणुनाशक होने से घाव, त्वचारोग इत्यादि के लिए अत्यंत उपयुक्त है; पानी के कीटाणु और क्षार का प्रमाण 80 से 90 प्रतिशत कम करती है । इसलिए अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रान्स जैसे 70 देशों ने अग्निहोत्र का स्वीकार किया है ।उन्होंने विविध विज्ञान मासिकों में उसका निष्कर्ष प्रकाशित किया है ।* *स्त्रोत : हिंदु जन जागृति*

*🚩हमारी संस्कृति को हम भूल गए हैं इसलिए आज हमें घरों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है नहीं तो आज अगर घर घर हवन होता, तुलसी, पीपल आदि होते, देशी गाय होती, महापुरुषों के अनुसार अपना रहन-सहन बनाया होता तो कोरोना जैसे भयंकर वायरस हमें छू भी नहीं सकते थे !! हमारी संस्कृति इतनी महान है बस अब शीघ्र उसपर लौटने की आवश्यकता है नहीं तो इससे भी अधिक भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं ।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

जानिए हनुमान जी किसके अवतार थे और कितनी सिद्धियां थीं ?

07 अप्रैल 2020

*🚩 हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा की पावन तिथि पर हुआ । तब से हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है । इस दिन हनुमान जी का तारक एवं मारक तत्त्व अत्याधिक मात्रा में अर्थात अन्य दिनों की तुलना में 1 सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है । इससे वातावरण की सात्त्विकता बढती है एवं रज-तम कणों का विघटन होता है । विघटन का अर्थ है, ‘रज-तम की मात्रा अल्प होना।’ इस दिन हनुमान जी की उपासना करने वाले भक्तों को हनुमान जी के तत्त्व का अधिक लाभ होता है ।*

*🚩 ज्योतिषियों की गणना अनुसार हनुमान जी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 115 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था ।*
*हनुमान जी भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान हैं ।*

*🚩हनुमान जी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी तथा माता अंजना हैं । हनुमान जी को पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पवन देवता ने हनुमान जी को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।*

*🚩हनुमानजी को बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि हनुमान जी का शरीर वज्र की तरह है।*

*🚩पृथ्वी पर सात मनीषियों को अमरत्व (चिरंजीवी) का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं । हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं।*

*🚩हनुमानजी को एक दिन अंजनी माता फल लाने के लिये आश्रम में छोड़कर चली गई। जब शिशु हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे । उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया । जिस समय हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था । हनुमान जी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया । उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की “देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे । आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है ।”*

*🚩राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े । राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे । राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्र से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई ।*

*🚩हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया । उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दी । जिससे संसार का कोई भी प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे । तब सारे सुर,असुर, यक्ष,  किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये । ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये । वे मूर्छित हनुमान जी को गोद में लिये उदास बैठे थे । जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की । फिर ब्रह्माजी ने उन्हें वरदान दिया कि कोई भी शस्त्र इनके अंग को हानि नहीं कर सकता । इन्द्र ने भी वरदान दिया कि इनका  शरीर वज्र से भी कठोर होगा । सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा कि मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा । यमदेव ने अवध्य और  निरोग रहने का आशीर्वाद दिया । यक्षराज कुबेर,विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये ।*

*🚩इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत मे हनु) टूट गई थी । इसलिये उनको “हनुमान” नाम दिया गया । इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, बालाजी महाराज आदि । इस प्रकार हनुमान जी के 108 नाम हैं और हर नाम का मतलब उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है ।*

*🚩एक बार माता सीता ने प्रेम वश हनुमान जी को एक बहुत ही कीमती सोने का हार भेंट में देने की सोची लेकिन हनुमान जी ने इसे लेने से मना कर दिया । इस बात से माता सीता गुस्सा हो गई तब हनुमानजी ने अपनी छाती चीर का उन्हें उसे बसी उनकी प्रभु राम की छव‍ि दिखाई और कहा क‍ि उनके लिए इससे ज्यादा कुछ अनमोल नहीं ।*

*🚩हनुमानजी के पराक्रम अवर्णनीय है । आज के आधुनिक युग में ईसाई मिशनरियां अपने स्कूलों में पढ़ाती है कि हनुमानजी भगवान नही थे एक बंदर थे । बन्दर कहने वाले पहले अपनी बुद्धि का इलाज कराओ। हनुुमान जी शिवजी का अवतार हैं। भगवान श्री राम के कार्य में साथ देने (राक्षसों का नाश और धर्म की स्थापना करने ) के लिए भगवान शिवजी ने हनुमानजी का अवतार धारण किया था ।*

*🚩मनोजवं मारुततुल्य वेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।*
*वातात्मजं वानरयूथ मुख्य, श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।*

*‘मन और वायु के समान जिनकी गति है, जो जितेन्द्रिय है, बुद्धिमानों में जो अग्रगण्य हैं, पवनपुत्र हैं, वानरों के नायक हैं, ऐसे श्रीराम भक्त हनुमान की शरण में मैं हूँ ।*

*🚩जिसको घर में कलह, क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटानी हो, वह नीचे की चौपाई की पुनरावृत्ति किया करे..*
 
*🚩बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन – कुमार |*
*बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ||*


*🚩चौपाई – अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।* *अस बर दीन्ह जानकी माता ।।  (31)*

*🚩यह हनुमान चालीसा की एक चौपाई  जिसमें तुलसीदास जी लिखते हैं कि हनुमानजी अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं ऐसा सीता माता ने उन्हें वरदान दिया ।  यह अष्ट सिद्धियां बड़ी ही चमत्कारिक होती है जिसकी बदौलत हनुमान जी ने असंभव से लगने वाले काम आसानी से सम्पन किये थे। आइये अब हम आपको इन अष्ट सिद्धियों, नौ निधियों और भगवत पुराण में वर्णित दस गौण सिद्धियों के बारे में विस्तार से बताते हैं ।*

*🚩आठ सिद्धयाँ :*
*हनुमानजी को  जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-*

*🚩1.अणिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।*

*इस सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने तब किया जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। हनुमानजी ने अणिमा सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी लंका का निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं चला।*

*🚩2. महिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।*

*जब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमानजी ने स्वयं का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था।*

*इसके अलावा माता सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।*

*🚩3. गरिमा:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।*

*गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध वानर रूप धारक करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक वानर की पूंछ रास्ते में पड़ी हुई है, तब भीम ने वृद्ध वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि मैं वृद्धावस्था के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर की पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया। पवनपुत्र हनुमान के भाई थे भीम क्योंक‍ि वह भी पवनपुत्र के बेटे थे ।*

*🚩4. लघिमा:  इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।*

*जब हनुमानजी अशोक वाटिका में पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे ही सीता माता को अपना परिचय दिया था।*

*🚩5. प्राप्ति:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।*

*रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से चर्चा की थी। माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।*

*🚩6. प्राकाम्य:  इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को प्राप्त कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।*

*इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल तक प्राप्त कर लिया है।*

*🚩7. ईशित्व:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।*

*ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।*

*🚩8. वशित्व:  इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।*

*🚩वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं।*

*🚩नौ निधियां  :
हनुमान जी प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार हैं :-*

*🚩1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है ।*

*🚩2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है ।*

*🚩3. नील निधि : नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।*

*🚩4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।*

*🚩5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।*

*🚩6. मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है ।*

*🚩7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है ।*

*🚩8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।*

*🚩9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं ।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

योग और ध्यान करेंगे तो कोरोना की पीड़ा हो जाएगी दूर – अमेरिकी विद्यालय

04 अप्रैल 2020

*🚩भारत के महापुरुषों के ज्ञान का महत्त्व न जानने वालों ने स्वास्थ्य और सुविधा के लिए बड़ी-बड़ी महँगी-महँगी दवाइयाँ व मशीनें खोजीं लेकिन समस्याएँ कम न हुईं बल्कि और भी बढ़ीं । आखिर थक-हारकर आज पुनः स्वास्थ्य व शांति के लिए विश्ववासियों को भारत की ऋषिप्रणीत प्रणालियों की शरण स्वीकारनी पड़ रही है ।*

*🚩हमारे योग-ध्यान,गौ-चिकित्सा की ओर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ सहित सारा विश्व आज आशा भरी दृष्टि से टकटकी लगाये देख रहा है ।*

*🚩आपको बता दें कि अमेरिका के अलबामा में विद्यालयों में योग पढाए जाने पर 27 सालों से लगा प्रतिबंध हटने के अगले ही दिन हार्वर्ड वैद्यकीय विद्यालय ने कोरोना वायरस से निपटने में भी योग और ध्यान को मददगार बताया है। अमेरिका ने प्रमुख वैद्यकीय इंस्टीट्यूट में से एक हार्वर्ड ने एक बयान जारी का कहा है कि, कोरोना वायरस से जुड़ी व्यग्रता और बेचैनी से निपटने के लिए योग और ध्यान करने के साथ-साथ सांस पर नियंत्रण रखना चाहिए।*

*🚩हार्वर्ड वैद्यकीय विद्यालय ने अमेरिका में कोरोना के बढते मामलों के बाद रविवार को एक नई हेल्थ गाइडलाइन जारी की जिसमें कोरोना पीड़ितों को बेचैनी होने पर योग और ध्यान की सलाह दी गई है। इसके अनुसार ये सभी शांत होने के सही एवं आजमाए हुए तरीके हैं और बेचैनी होने पर इन्हें अमल में लाया जाना चाहिए। इस संबंध में हार्वर्ड वैद्यकीय विद्यालय ने जर्नल में भी एक एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें योग और ध्यान का ज़िक्र किया गया है।*

*● नियमित ध्यान करने की सलाह*

*🚩हार्वर्ड वैद्यकीय विद्यालय के फैकल्टी एवं यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डेविड गेफेन विद्यालय ऑफ मेडिसिन के बोर्ड प्रमाणित मनोरोग चिकित्सक जॉन शार्प के अनुसार नियमित ध्यान बहुत राहत देने वाला है। अगर आप योग नहीं करते हैं? जब तक मन करें तब तक कोशिश न करें। कई बार कुछ नयी चीजें करना और नयी गतिविधियों का पता लगा कर आप लाभ ले सकते हैं। योग स्टूडियो और पॉकेट योग जैसे ऐप पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वायरस को लेकर बुरी ही खबरें आएंगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बात सुनें जो उन्हें सही रास्ता दिखा सकते हैं।*
*स्त्रोत : न्यूज १८*

*🚩कोरोना वायरस रोग की भीषण महामारी से त्रस्त होकर आज विश्व  को भारत के महापुरुषों के सिद्धान्तों की ओर तो आखिर में मुड़ना ही पड़ रहा है । लेकिन कितना अच्छा होता कि पहले से ही भारत कर महापुरुषों की उत्तम सीख को मानते।*

*🚩विश्व को उपरोक्त जैसी विभिन्न तबाहियों से बचना हो तो भारत के ऋषि-मुनियों और ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुषों के ज्ञान की ओर ही मुड़ना होगा… स्नेहपूर्वक न मुड़े तो ठोकरें खाकर भी मुड़ना होगा…. इसके सिवा कोई चारा ही नहीं है ।*

*🚩विदेशी लोग तो चलो, हमारी संस्कृति की महानता से अपरिचित हैं इसलिए वे ठोकर खाकर सँभल रहे हैं पर हमारा जन्म तो भारतभूमि में हुआ है । ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों के सुसंस्कारों की सरिताएँ आज भी हमारे देश में बह रही हैं ।*

*🚩जब से भारतवासी ऋषि-मुनियों की बतायी हुई दिव्य प्रणालियाँ भूल गये, ध्यान-योग करना भूल गये, अध्यात्मज्ञान को भूल गये , तभी से भारत का पतन प्रारम्भ हो गया । अब भी समय है । यदि भारतवासी शास्त्रों में बतायी गयी , संतों महापुरुषों द्वारा बतायी गयी युक्तियों का अनुसरण करें तो वह दिन दूर नहीं कि भारत अपनी खोयी हुई आध्यात्मिक गरिमा को पुनः प्राप्त करके विश्वगुरु पद पर आसीन हो जाय । “*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा बुजर्गो को है फिर रिहा क्यो नही किया जा रहा है?


29 मार्च 2020

*🚩कोरोना वायरस ने भयंकर तांडव मचाया है उसको लेकर भारत की सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देश दिया कि 7 साल के सजा वाले ओर विचारधीन कैदीयो को रिहा कर दिया जाए, उस निर्देश अनुसार कई राज्य सरकारे जेलों से कैदियों को रिहा कर रही है लेकिन एक मुख्य बात पर सुप्रीम कोर्ट और सरकार का ध्यान क्यो नही गया?*

*🚩कोरोना वायरस सबसे ज्यादा 60 साल की ऊपर के उम्र वालो पर जल्दी हमला कर लेता और अभी तक जितनी भी मौते हुई है उसमें अधिकितर 60 साल की ऊपर की उम्र वाले थे फिर सुप्रीम कोर्ट और सरकारे उन बुजर्गो को क्यों रिहा नही कर रही है? और सबसे बड़ी बात है की अधिक उम्र वाले रिहा करने पर बाहर आकर कोई अपराध भी नही करेंगे इसलिए सरकार को चाहिए कि जिनकी 60 साल से ऊपर की उम्र है, और जो गर्भवती महिलाएं है उनको शीघ्र रिहा करने की व्यवस्था करनी चाहिए।*

*🚩आपको ये भी बता दे कि बापू आशारामजी को निर्दोष होने के प्रणाम होते हुए भी सात साल से जेल में है आजतक एक दिन भी जमानत नही दी गई जबकि ईमाम बुखारी , सलमान खान, तरुण तेजपाल, राहुल गाँधी, पी चिदंबरम आदि को भी जमानत मिल सकती है तो 85 वर्षीय हिंदू संत आसाराम बापू को क्यों नही मिल सकती?*

*🚩वर्तमान में हिंदू संत आशाराम बापू की उम्र 85 साल की हो गई है और उन्होंने 50 साल से अधिक समाज-देश और संस्कृति की सेवा में अतुल्य योगदान रहा है तो क्यो न सरकार पहले उनको रिहा करें।*

*🚩आपको बता दे कि उनको निर्दोष होने की और षड्यंत्र तहत फ़साने के लिए पुख्ता सबूत भी है।*

*🚩1. तथाकथित घटना के 5 दिन बाद और रात 2:30 बजे FIR दर्ज की गई।*

*🚩2. हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने संदिग्ध तरीके से फाड़ें गए।*

*🚩3. 164 के बयान होने के बाद FIR न्यायालय में पेश की गई ।*

*🚩4. FIR लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई।*

*5. ओरिजिनल FIR को बदल दिया गया, FIR और FIR की कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया ।*

*🚩6. मेडिकल में भी बापू को क्लीनचिट मिली ।*

*🚩7. उम्र संबंधी अलग-अलग सर्टिफिकेट में लड़की की अलग-अलग उम्र पाई गई ।*

*🚩8. लड़की की कॉल डिटेल से स्पष्ट हुआ कि घटना की रात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति से फोन द्वारा संपर्क में थी ।*

*🚩9. तथाकथित घटना के समय बापू आसारामजी मँगनी कार्यक्रम में व्यस्त थे, लड़की कुटिया में गई ही नहीं ।*

*🚩अधिवक्ता सुराणा ने भी कोर्ट में खुलासा किया था कि लड़की के माँ-बाप ने जयपुर में भी एक वकील को झूठा मुकदमा दर्ज करवाने के लिए मोटी रकम देने का ऑफर दिया था । जिसकी पुष्टि खुद उस वकील ने न्यायालय में अपने बयान में की ।*

*🚩आपको बता दें कि बापू आशारामजी के अहमदाबाद आश्रम में एक Fax आया था जिसमें 50 करोड़ की फिरौती की मांग की गई थी और न देने पर धमकी दी गई थी कि अगर बापू ने 50 करोड़ नही दिए तो झूठी लड़कियां तैयार करके झूठे केस में फंसा देंगे और कभी बाहर नहीं आ पाओगे पर कोर्ट ने इनके ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया।*

*🚩समाज, देश और संस्कृति के लिए हिंदू संत आशाराम बापू ने क्या किया?*

*1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया।*

*2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।*

*3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।*

*4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।*

*5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया ।*

*6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया  ।*

*7). वैलेंटाइन डे का विरोध करके “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का प्रारम्भ करवाया  ।*

*8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया  ।*

*9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया  ।*

*10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया  ।*

*11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए  ।*

*12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ के “शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी” बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया  ।*

*🚩ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये है जो विस्तार से नही बता पा रहे है।*

*🚩हिंदू संत आशाराम बापू पर जिस तरह से षड्यंत्र हुआ है और उनके जो समाज उत्थान के सेवाकार्य को देखते हुए और उनकी उम्र को ध्यान रखते हुए न्यायालय ओर सरकार को शीघ्र रिहा करना चाहिए।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

कोरोना वायरस खत्म करने का एक अमोघ साधन

28 मार्च 2020

*🚩कोरोना वायरस का प्रकोप हुआ है तबसे मीडिया, सोशल मीडिया में उसी की खबरें चलाई जाती है। लेकिन क्या कोरोना वायरस से भी अनंतगुना शक्तिशाली ईश्वर नहीं है ? कोरोना से सावधानी रखनी जरूरी है लेकिन 24 घन्टे वही खबर दिखाकर लोगों को भयभीत किया जाता है उसकी जगह सृष्टि कर्ता ईश्वर की खबरें दिखाई जाएं और ईश्वर के नाम का गुणगान किया जाए, प्रार्थनाएं की जायें तो कितना लाभ होगा और कोरोना रूपी राक्षस का भी नाश होगा।*

*🚩भगवान सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान हैं। समस्त प्राणियों के हृदय में विराजमान आत्मा हैं। उनकी लीला अमोघ है। उनकी शक्ति और पराक्रम अनन्त है।*

*🚩महर्षि व्यासजी ने ‘श्रीमद् भागवत’ के माहात्म्य तथा  प्रथम स्कंध के प्रथम अध्याय के प्रारम्भ में मंगलाचरण के रुप में भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति इस प्रकार से की हैः*

*सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे।*
*तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः।।*

*🚩‘सच्चिदानंद भगवान श्रीकृष्ण को हम नमस्कार करते हैं, जो जगत की उत्पत्ति, स्थिति एवं प्रलय के हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक – इन तीनों प्रकार के तापों का नाश करने वाले हैं।’*
*(श्रीमद् भागवत मा. 1.1)*

*★ भगवान की प्रार्थना में कितना बल है वे जान लीजिए…*

*🚩वह परमात्मा कैसा समर्थ है ! वह ‘कर्तुं अकर्तुं अन्याथाकर्तुं समर्थः’ है। असम्भव भी उसके लिए सम्भव है।*

*1970 की एक घटना अमेरिका के विज्ञान जगत में चिरस्मरणीय रहेगी।*
*अमेरिका ने 11 अप्रैल, 1970 को अपोलो-13 नामक अंतिरक्षयान चन्द्रमा पर भेजा। दो दिन बाद वह चन्द्रमा पर पहुँचा और जैसे ही कार्यरत हुआ कि उसके प्रथम युनिट ऑडीसी (सी.एस.एम.) के ऑक्सीजन की टंकी में विद्युत तार में स्पार्किंग होने के कारण अचानक विस्फोट हुआ जिससे युनिट में ऑक्सीजन खत्म हो गयी और विद्युत आपूर्ति बंद हो गयी।*

*उस युनिट में तीन अंतरिक्षयात्री थेः जेम्स ए. लोवेल, जॉन एल. स्वीगर्ट और फ्रेड वोलेस हेईज। इन अंतरिक्षयात्रियों ने विस्फोट होने पर सी.एस.एम. युनिट की सब प्रणालियाँ बंद कर दीं एवं वे तीनों उस युनिट को छोड़कर एक्वेरियस (एल.एम.) युनिट में चले गये।*

*अब असीम अंतरिक्ष में केवल एल.एम. युनिट ही उनके लिए लाइफ बोट के समान था। परंतु बाहर की प्रचंड गर्मी से रक्षा करने के लिए उस युनिट में गर्मी रक्षा कवच नहीं था। अतः पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रविष्ट होकर पुनः पृथ्वी पर वापस लौटने में उसका उपयोग कर सकना सम्भव नहीं था।*
*पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पृथ्वी पर वापस लौटने में अभी चार दिन बाकी थे। इतना लम्बा समय चले उतना ऑक्सीजन एवं पानी का संग्रह नहीं बचा था। इसके अतिरिक्त इस युनिट के अंदर बर्फ की तरह जमा दे ऐसा ठंडा वातावरण एवं अत्यधिक कार्बन डाईऑक्साइड था। जीवन बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी।*
*अंतरिक्षयात्री पृथ्वी के नियंत्रणकक्ष के निरंतर सम्पर्क में थे। उन्होंने कहाः “अंतरिक्षयान में धमाका हुआ है…. अब हम गये….”*
*लाखों मील ऊँचाई पर अंतरिक्ष में मानवीय सहायता पहुँचाना सम्भव नहीं था। अंतरिक्षयान गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से भी ऊपर था। इस विकट परिस्थिति में सब निःसहाय हो गये।* *कोई मानवीय ताकत अंतरिक्षयात्रियों को सहाय पहुँचा सके यह सम्भव नहीं था। नीचे नियंत्रण कक्ष से कहा गयाः*
*“अब हम तो कुछ नहीं कर सकते। हम केवल प्रार्थना कर सकते हैं। जिसके हाथों में यह सारी सृष्टि है उस ईश्वर से हम केवल प्रार्थना कर सकते हैं…… May God help you ! We too shall pray to God. God will help you.” और देशवासियों ने भी प्रार्थना की।*
*युवान अंतरिक्षयात्रियों ने हिम्मत की। उन्होंने ईश्वर के भरोसे पर एक साहस किया। चंद्र पर अवरोहण करने के लिए एल.एम. युनिट के जिस इन्जन का उपयोग करना था उस इन्जन की गति एवं दिशा बदलकर एवं स्वयं गर्मी-रक्षक कवचरहित उस एल.एम. युनिट में बैठकर अपोलो – 13 को पृथ्वी की ओर मोड़ दिया। ….और आश्चर्य ! तमाम जीवनघातक जोखिमों से पार होकर अंतरिक्षयान ने सही सलामत 17 अप्रैल, 1970 के दिन प्रशान्त महासागर में सफल अवरोहण किया।*

*🚩उन अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने बाद में वर्णन करते हुए कहाः “अंतरिक्ष में लाखों मील दूर से एवं एल.एम. जैसे गर्मी-रक्षक कवच से रहित युनिट में बैठकर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश करना और प्रचण्ड गर्मी से बच जाना, हम तीनों का जीवित रहना असम्भव था…. किसी भी मनुष्य का जीवित रहना असम्भव था। यह तो आप सबकी प्रार्थना ने काम किया है एवं अदृश्य सत्ता ने ही हमें जीवनदान दिया है।”*
*सृष्टि में चाहे कितनी भी उथल-पुथल मच जाय लेकिन जब अदृश्य सत्ता किसी की रक्षा करना चाहती है तो वातावरण में कैसी भी व्यवस्था करके उसकी रक्षा कर देती है। ऐसे तो कई उदाहरण हैं।*

*★ प्रार्थना का प्रभाव*

*🚩सन् 1956 में मद्रास इलाके में अकाल पड़ा। पीने का पानी मिलना भी दुर्लभ हो गया। वहाँ का तालाब ‘रेड स्टोन लेक’ भी सूख गया। लोग त्राहिमाम् पुकार उठे। उस समय के मुख्यमंत्री श्री राजगोपालाचारी ने धार्मिक जनता से अपील की कि ‘सभी लोग दरिया के किनारे एकत्रित होकर प्रार्थना करें।’ सभी समुद्र तट पर एकत्रित हुए। किसी ने जप किया तो किसी ने गीता का पाठ, किसी ने रामायण की चौपाइयाँ गुंजायी तो किसी ने अपनी भावना के अनुसार अपने इष्टदेव से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री ने सच्चे हृदय से, गदगद कंठ से वरुणदेव, इन्द्रदेव और सबमें बसे हुए आदिनारायण विष्णुदेव की प्रार्थना की। लोग प्रार्थना करके शाम को घर पहुँचे। वर्षा का मौसम तो कब का बीत चुका था। बारिश का कोई नामोनिशान नहीं दिखाई दे रहा था। ‘आकाश मे बादल तो रोज आते और चले जाते हैं।’ – ऐसा सोचते-सोचते सब लोग सो गये। रात को दो बजे मूसलाधार बरसात ऐसी बरसी, ऐसी बरसी कि ‘रेड स्टोन लेक’ पानी से छलक उठा। बारिश तो चलती ही रही। यहाँ तक कि मद्रास सरकार को शहर की सड़कों पर नावें चलानी पड़ीं।*

*🚩दृढ़ विश्वास, शुद्ध भाव, भगवन्नाम, भगवत्प्रार्थना छोटे-से-छोटे व्यक्ति को भी उन्नत करने में सक्षम है।*

*🚩आज से हमें कोरोना रूपी राक्षस से सावधान रहना है पर भयभीत होंने की आवश्यकता नहीं है। हम सर्व समर्थ ईश्वर की चर्चा, उनका नाम, उनका ध्यान और प्रार्थना करेंगे तो कोरोना तो दूर होगा साथ में हमारी चिंताएं, विध्न-बाधाये दूर होगी और देश में सुंदर वातावरण बनेगा। मीडिया बंधुओं से भी अपील है कि टीआरपी के लिए कोरोना की अधिक खबरे नहीं चलाकर ईश्वर के सामर्थ्य वाली खबरें चलाकर देश में सुखयमय वातावरण बनाने में सहयोग देना चाहिए।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

स्तनधारी जीवों को खाना टाइम बम के समान : रिसर्च

27 मार्च 2020

*🚩मांसाहारी खाने वाले लोग शाकाहारी की तुलना में गंभीर बिमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं। इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं।*

*🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है।*

*🚩वुहान कोरोना वायरस दुनिया भर के लिए आज एक भयानक खतरे और महामारी के रूप में उपस्थित है। दुनिया भर के देश आज इस वायरस से बचने को भागे-भागे घूम रहे, इसके खिलाफ लड़ाई के लिए सारे संसाधन झोंकने को तैयार दिख रहे। कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन के हालात हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था औंधे मुँह गिरी पड़ी है।*
*COVID-19 या SARS-CoV-2, के नाम से जाना जा रहा यह वायरस अत्यंत संक्रामक है और एक बड़ी आबादी को बेहद कम समय में अपनी गिरफ्त में ले सकता है, उस स्थान के स्वास्थ्य ढाँचे को तबाह कर सकता है। इस नोबल वायरस से किस हद तक भयावह स्थिति पैदा हो सकती है, इसका ठीक-ठीक अनुमान हमें इटली जैसे देश के मौजूदा हालातों से लग सकता है, जहाँ इस घातक वायरस के कारण त्राहिमाम की स्थिति है।*

*🚩वैज्ञानिक इस वायरस से भी ज्यादा खतरनाक वायरस से पैदा संक्रमण पर बहुत पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। ये zoonotic वायरस हैं, यानी जो गैर मानवों से मानवों में फैलता है। SARS-CoV-2 वायरस चमगादड़ कोरोना वायरस से निकटता रखता है। ऐसा संदेह जताया जा रहा है कि यह मानवों में किसी मध्यस्थ पशु जैसे पैंगोलिन के जरिए ट्रांसमिट हुआ है। जिसका कारण इंसानों की फूड हैबिट यानी खाने की आदतें हैं।*

*🚩वैज्ञानिकों ने एक साइंस पेपर के जरिए इस तरह के वायरसों के उद्भव के संबंध में कई साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। चेंग वीसी, लाऊ एसके, वू पीसी और युएन केवाई ने 2007 में एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया था। उसमें इस बात का अंदेशा व्यक्त किया गया था कि दक्षिण चीन में लोगों की खाने की आदतें, जो विदेशज किस्म के स्तनपायी जीवों को खाने के लिए विख्यात हैं, असल में एक टाइम बम हैं। याद रहे कि कोरोना भी वुहान शहर के एनिमल मार्केट से ही फैलना शुरू हुआ।*

*🚩उपरोक्त रिसर्च पेपर में यह चेतावनी भी दी गई थी कि इस तरह के वायरस जेनेटिक बदलावों के जरिए और संश्लेषण से नए वायरस संक्रमणों में बदल सकते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान दिलाया गया था कि SARS-CoV जैसे वायरसों के लिए हॉर्स शू चमगादड़ (चमगादड़ की ही एक प्रजाति) नैसर्गिक रूप से निवास स्थान का काम करते हैं। जिस कारण एनिमल मार्केट इस तरह के वायरस संक्रमण के फैलाव का केंद्र हो सकती है। इसे रोकने के लिए वहाँ बायो सेफ्टी का उचित ध्यान रखने की जरूरत है।*
*पेपर में आगे कहा गया है कि दक्षिण चीन में हुए रैपिड विकास के कारण वहाँ एनिमल प्रोटीन की माँग बहुत बढ़ चुकी है, जिसमें रात्रिचर स्तनपाई civet (छोटे-पतले आकार के स्तनपाई) जैसे विदेशज जानवर भी शामिल हैं। इन्हें पिंजड़ों में ठूँस-ठूँस कर भर दिया जाता है और बायो सेफ्टी के बावत कतई उदासीनता बरती जाती है। इस कारण ये एनिमल मार्केट पशुओं से मानवों तक वायरसों के आसान ट्रांसमिशन का जरिया हो जाते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात की भी संभावना जताई गई है कि यदि सार्स के लिए अनुकूल स्थितियाँ पैदा हो गईं तो वह एक घातक संक्रामक महामारी के रूप में वापस लौट सकता है।*

*🚩इस तरह यह लगभग निश्चित हो चुका है कि पशुओं को खाने की आदत का SARS-CoV-2 नामक इस महामारी के फैलने में बड़ा रोल है। फूड हैबिट की वजह से यह पशुओं से मानवों में ट्रांसमिट हुई।* *जाहिर है कि इस महामारी से मिले अनुभव भविष्य में दुनिया पर कई तरह के दीर्घकालिक और अल्पकालिक प्रभाव डालने वाले होंगे। यह शायद हमारी खाने-पीने की आदतों में भी आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले साबित हो सकते हैं, जिससे हम आगे इन वायरसों के संक्रमण से मानव सभ्यता को बचा सकें।*
*संदर्भ : OpIndia*

*🚩मांसाहार का सेवन करना हिंदू संस्कृति में वर्जित है क्योंकि यह मनुष्य का नहीं राक्षसी भोजन है। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।*

*🚩सरकार को भी चाहिए कि मांसाहार पर प्रतिबंध लगा दे, कत्लखाने बंद करवा दे।*
*जबतक सरकार प्रतिबंध नही लगायें तबतक हमें ही मांसाहार त्याग देना चाहिए और शाकाहार अपनाना चाहिए।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

जानिए क्यों मनाई जाती है नवरात्रि और कैसे करें शक्ति की उपासना

23 मार्च 2020

*🚩नवरात्रि के नौ दिनों में देवीतत्त्व अन्य दिनों की तुलना में एक सहस्र गुना अधिक सक्रिय रहता है । इस कालावधि में देवीतत्त्व की अतिसूक्ष्म तरंगें धीरे-धीरे क्रियाशील होती हैं और पूरे ब्रह्मांड में संचारित होती हैं । उस समय ब्रह्मांड में शक्ति के स्तर पर विद्यमान अनिष्ट शक्तियां नष्ट होती हैं और ब्रह्मांड की शुद्धि होने लगती है । देवीतत्त्व की शक्ति का स्तर प्रथम तीन दिनों में सगुण-निर्गुण होता है । उसके उपरांत उसमें निर्गुण तत्त्वकी मात्रा बढ़ती है और नवरात्रि के अंतिम दिन इस निर्गुण तत्त्वकी मात्रा सर्वाधिक होती है । निर्गुण स्तर की शक्ति के साथ सूक्ष्म स्तर पर युद्ध करने के लिए छठे एवं सातवें पाताल की बलवान आसुरी शक्तियों को अर्थात मांत्रिकों को इस युद्ध में प्रत्यक्ष सहभागी होना पड़ता है । उस समय ये शक्तियां उनके पूरे सामर्थ्य के साथ युद्ध करती हैं ।*

*इस वर्ष चैत्री नवरात्रि
25 मार्च से 2 अप्रैल तक हैं।*

*🚩नवरात्रि की कालावधि में महाबलशाली दैत्यों का वध कर देवी दुर्गा महाशक्ति बनी । देवताओं ने उनकी स्तुति की । उस समय देवीमां ने सर्व देवताओं एवं मानवों को अभय का आशीर्वाद देते हुए वचन दिया कि*

*इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति ।*
*तदा तदाऽवतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम् ।।*
*– मार्कंडेयपुराण 91.51*

*🚩इसका अर्थ है, जब-जब दानवोंद्वारा जगत्को बाधा पहुचेगी, तब-तब मैं अवतार धारण कर शत्रुओं का नाश करूंगी ।*

*🚩नवरात्र का उत्सव श्रद्धा और सबुरी के रंग में सराबाेर होता है। नवरात्र के दिनों में भक्त देवी माँ के प्रति विशेष उपासना प्रकट करते हैं। नवरात्र के दिनों में लोग कई तरह से माँ की उपासना करते हैं। माता के इस पावन पर्व हर कोई उनकी अनुकंपा पाना चाहता है। नवरात्र का यह पावन त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। इसका भी एक खास महत्व है। वैसे तो माँ दुर्गा की उपासना के लिए सभी समय एक जैसे हैं और दोनों नवरात्रि का प्रताप भी एक जैसा है। साथ ही दोनों नवरात्र में माँ की पूजा करने वाले भक्तों को उनकी विशेष अनुकंपा भी प्राप्त होती है।*

*● एक वर्ष में कितनी बार पड़ते हैं नवरात्रि*

*🚩कम लोगों को ज्ञात होगा कि एक साल में नवरात्र के 4 बार पड़ते हैं। साल के प्रथम मास चैत्र में पहली नवरात्र होती है, फिर चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्र पड़ती है। इसके बाद अश्विन माह में में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है। साल के अंत में माघ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं। इन सभी नवरात्रों का जिक्र देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। हिंदी कैलेंडर के हिसाब से चैत्र माह से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, और इसी दिन से नवरात्र भी शुरू होते हैं, लेकिन सर्वविदित है कि चारों में चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रमुख माने जाते हैं। एक साल में यह दो नवरात्र मनाए जाने के पीछे की वजह भी अलग-अलग तरह की है। आइए हम आपको नवरात्र का उत्सव साल में दो बार मनाने के पीछे आध्यात्मिक, प्राकृतिक और पौराणिक कारणों के बारे में बताते हैं।*

*● क्या है प्राकृतिक कारण*

*🚩नवरात्रि का पर्व दो बार मनाने के पीछे अगर प्राकृतिक कारणों की बात की जाए तो हम पाएंगे कि दोनों नवरात्र के समय ही ऋतु परिवर्तन होता है। गर्मी और शीत के मौसम के प्रारंभ से पूर्व प्रकृति में एक बड़ा परिवर्तन होता है। माना जाता है कि प्रकृति माता की इसी शक्ति के उत्सव को आधार मानते हुए नवरात्रि का पर्व हर्ष, आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति स्वयं ही इन दोनों समय काल पर ही नवरात्रि के उत्सव के लिए तैयार रहती है तभी तो उस समय न मौसम अधिक गर्म न अधिक ठंडा होता है। खुशनुमा मौसम इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाता है।*

*● ये है भौगोलिक तथ्य*

*🚩अगर भौगोलिक आधार पर गौर किया जाए तो मार्च और अप्रैल के जैसे ही, सितंबर और अक्टूबर के बीच भी दिन और रात की लंबाई के समान होती है। तो इस भौगोलिक समानता की वजह से भी एक साल में इन दोनों नवरात्रि को मनाया जाता है। प्रकृति में आए इन बदलाव के चलते मन तो मन हमारे दिमाग में भी परिवर्तन होते हैं। इस प्रकार नवरात्र के दौरान व्रत रखकर शक्ति की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।*

*● यह है पौराणिक मान्यता*

*🚩नवरात्रि का त्योहार साल में दो बार मनाए जाने के पीछे प्राचीन कथाओं का उल्लेख भी पुराणों में मिलता है। माना जाता है कि पहले नवरात्रि सिर्फ चैत्र नवरात्र होते थे जो कि ग्रीष्मकाल के प्रारंभ से पहले मनाए जाते थे, लेकिन जब श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और उनकी विजय हुई। विजयी होने के बाद वो माँ का आशीर्वाद लेने के लिए नवरात्रि की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक विशाल दुर्गा पूजा आयोजित की थी। इसके बाद से नवरात्रि का पर्व दो बार मनाते हैं।*

*● अध्यात्म कहता है*

*🚩अगर एक साल में दो नवरात्र मनाने के पीछे के आध्यात्मिक पहलू पर प्रकाश डालें तो जहाँ एक नवरात्रि चैत्र मास में गर्मी की शुरुआत में आती है तो वहीं दूसरी सर्दी के प्रारंभ में आती है। गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में आने वाली सौर-ऊर्जा से हम सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि यह फसल पकने की अवधि होती है। मनुष्य को वर्षा, जल, और ठंड से राहत मिलती है। ऐसे जीवनोपयोगी कार्य पूरे होने के कारण दैवीय शक्तियों की आराधना करने के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है।*

*● रामनवमी से है संबंध*

*🚩मान्यता है कि रावण से युद्ध से पहले भगवान श्रीराम ने माता शक्ति की पूजा रखवाई थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रीराम ने रावण के साथ युद्ध पर जाने से पूर्व अपनी विजय की मनोकामना मानते हुए माँ के आशीर्वाद लेने के लिए विशाल पूजा का आयोजन करवाया था। कहा जाता है कि राम देवी के आर्शीवाद के लिए इतना इतंजार नहीं करना चाहते थे और तब से ही प्रतिवर्ष दो बार नवरात्रि का आयोजन होता है। जहाँ शारदीय नवरात्र में यह सत्य की असत्य पर व धर्म की अधर्म पर जीत का स्वरूप माना जाता है, वहीं चैत्रीय नवरात्र में इसे भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव या रामनवमी के नाम से जानते हैं।*

*🚩नवरात्रि का व्रत धन-धान्य प्रदान करनेवाला, आयु एवं आरोग्यवर्धक है। शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करनेवाला है ।*

*🚩इस साल कोरोना वायरस का जिस तरह पूरे देश में प्रकोप चल रहा है, उसको शांत करने के लिए भी माँ आद्यशक्ति जगदंबा की नौ दिन की उपासना सहायता करेगी।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

कोरोना जैसे वायरस पहले भी आये थे, ऐसे वायरस नहीं आएं उसके लिए क्या करें ?

20 मार्च 2020

*••★ मांसाहार व अभक्ष्य आहार का त्याग*

*🚩जैसे भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों की अवहेलना के घातक दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं यह अब सभी को खूब प्रत्यक्ष हो रहा है । विश्वभर में आतंक मचाकर तबाही कर रहा कोरोना वायरस इसका एक ताजा उदाहरण है । इसके पहले सार्स रोग ने खूब तबाही मचायी थी जो पशुओं से मनुष्य-शरीर में आया था ।*

*••★ कहाँ से आये ये कोरोना?* 

*🚩वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस प्राणी से मनुष्य में संक्रमित हुआ वायरस है । मांसाहार करने के लिए जानवरों को प्राप्त करने और मांस तैयार करने की प्रक्रिया में लिप्त मांसाहार के व्यापारी और उसे खाने के शौकीन लोग जानवर के स्पर्श, श्वासोच्छवास, सेवन आदि द्वारा अपने जीवन को जानलेवा बीमारियों एवं अकाल मौत के मुँह में धकेल देते हैं । शाकाहारी जीवन जियें तो क्यों ऐसी महामारियाँ होंगी ?*

*मांसाहारी व्यक्ति केवल अपने लिए प्राणघातक नहीं है अपितु शाकाहारियों के लिए भी खतरा है क्योंकि ऐसे वायरस से रोग फिर मनुष्यों से मनुष्यों में फैलते हैं ।*
*अब चीन ने जंगली पशुओं के व्यापार और उनके उपभोग पर रोक लगा दी है ।*

*🚩मांसाहार और पशु-संक्रमण से मनुष्य में प्रविष्ट वायरस व रोग…*

*● नॉवेल कोरोना वायरस 2019*
*● एच 5 एन 1*
*● ऐवियन इन्फ्लुएंजा अथवा बर्ड फ्लू*
*● ईबोला वायरस रोग*
*● निपाह वायरस संक्रमण*
*● सार्स वायरस*
*● एच 1एन 1 स्वाइन फ्लू*

*🚩बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू बीमारी मुर्गे और सुअरों के जरिए मनुष्यों तक पहुंची थी। यह बीमारी हमारे शरीर तक तभी पहुंचती है जब हम इस बीमारी से ग्रस्त जीव को खाते हैं। हर साल इसकी वजह से लाखों लोग मौत की चपेट में आ जाते हैं।*

*🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है।*

*🚩मांसाहारी खाने वाले लोग गंभीर बिमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं। इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं।*

*🚩दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण मांस है। यदि विश्व के लोग मांस खाना छोड दें तो 70 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो सकता है।*

*🚩मांसाहार का सेवन करना हिंदू संस्कृति में वर्जित है क्योंकि यह मनुष्य का नहीं राक्षसी भोजन है। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।*

*••★ ठोकर खाने से पहले ही सँभल जायें…*

*🚩कोरोना वायरस रोग की भीषण महामारी से त्रस्त होकर आज विश्व को शाकाहार और भारत के महापुरुषों के सिद्धान्तों की ओर तो आखिर में मुड़ना ही पड़ रहा है । लेकिन कितना अच्छा होता कि पहले से ही मांस भक्षण न करने की महापुरुषों की उत्तम सीख को मानकर निर्दोष मूक प्राणियों की हिंसा से और इस रोग से बचा जाता !*

*🚩जब-जब शास्त्रों व महापुरुषों की दूरदृष्टि सम्पन्न हित व करूणाभरी सलाह को ठुकराया जाता है तब-तब देर-सवेर उसके घातक परिणाम भुगतने ही पड़ते हैं और मजबूर होकर शास्त्रों-महापुरुषों के सिद्धान्तों को मानना पड़ता है । ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं।*

*🚩भारत के साधु-संतों के ज्ञान का महत्त्व न जानने वालों ने स्वास्थ्य और सुविधा के लिए बड़ी-बड़ी महँगी-महँगी दवाइयाँ व मशीनें खोजीं लेकिन समस्याएँ कम न हुईं बल्कि और भी बढ़ीं । आखिर थक-हारकर आज पुनः स्वास्थ्य व शांति के लिए विश्ववासियों को भारत की ऋषिप्रणीत इन प्रणालियों की शरण स्वीकारनी पड़ रही है । इसी प्रकार हमारी गौ-चिकित्सा की ओर भी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ सहित सारा विश्व आज आशाभरी दृष्टि से टकटकी लगाये देख रहा है ।*

*🚩विश्व को उपरोक्त जैसी विभिन्न तबाहियों से बचना हो तो भारत के ऋषि-मुनियों और ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुषों के ज्ञान की ओर ही मुड़ना होगा… स्नेहपूर्वक न मुड़े तो ठोकरें खाकर भी मुड़ना होगा…. इसके सिवा कोई चारा ही नहीं है ।*

*🚩विदेशी लोग तो चलो, हमारी संस्कृति की महानता से अपरिचित हैं इसलिए वे ठोकर खाकर सँभल रहे हैं पर हमारा जन्म तो भारतभूमि में हुआ है । ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों के सुसंस्कारों की सरिताएँ आज भी हमारे देश में बह रही हैं ।*

*🚩एक-एक ठोकर खाकर हमारे महापुरुषों का एक-एक सिद्धान्त स्वीकारने के बजाय अगर हम उन सिद्धान्तों के उद्गमस्वरूप महापुरुष का ही महत्त्व समझें, उनका सत्संग, आदर-सम्मान करें और उनके बताये मार्ग पर चलें तो इन रोग-बीमारियों से मुक्ति तो बहुत छोटी बात है, तनाव चिंता, दुःख, शोक, उद्वेग एवं बड़ी भारी मुसीबतों से भी मुक्ति और अमिट परम आनंद, परम शांति की प्राप्ति करके मनुष्य जन्म का पूर्ण सफल भी प्राप्त किया जा सकता है । हम इस बात को कब समझेंगे ?*

*📚स्रोतः ऋषि प्रसाद पत्रिका, मार्च 2020*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

चैत्री नूतनवर्ष का इतिहास जानकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे

18 मार्च 2020
www.azaadbharat.org
*🚩 चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है । ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है । इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।*
*🚩 चैत्रमास की शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि की उत्पति हुई थी और इस दिन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है  ।*
*आइये आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी कुछ घटनाएं बताये…*
*🚩 इतिहास में इस प्रकार वर्णित है चैत्री वर्ष प्रतिपदा…*

*1. भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का सर्जन…*
*2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक…*
*3. माँ दुर्गा के नवरात्र व्रत का शुभारम्भ…*
*4. प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..*
*5. उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..*
*6. शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ…*
*7. महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..*
*8. भगवान झूलेलाल का अवतरण दिन..*
*9. मत्स्यावतार दिवस..*
*10 – डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन  ।*
*🚩 नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं…!!! इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है ।  चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं ।*
*🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक…दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी  ।*
*🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में गुड़ीपड़वा की गिनती होती है ।  इसी दिन भगवान श्री राम ने बालि के अत्याचारी शासन से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी ।*
*🚩 नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों…???*
*🚩 भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।*
*🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है ।*
*🚩विक्रमी संवत किसी की संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है ।*
*🚩भारतीय गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है ।*
*🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।*
*🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं । यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है ।  प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है ।*
*🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से उज्जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा ।*
*🚩महाराज विक्रमादित्य ने चैत्री प्रतिपदा के दिन से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की । साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी  ।*
*🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक के रूप में मनाया गया ।*
*🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया ।*
*🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है । यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है । हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं ।*
*🚩कैसे मनाएं नूतन वर्ष…???*
*🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी  मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फहराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*
*🚩 अब से सभी भारतीय संकल्प लें कि अंग्रेजों द्वारा चलाया गया नववर्ष(1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष) न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष (इस साल 25 मार्च) को मनाएंगे ।*
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat
🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ111

ईश्वर और हिंदू संस्कृति की उपेक्षा करने वाले एक झटके में समझ गए

17 मार्च 2020


*🚩सनातन हिंदू धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है पर हिन्दू संस्कृति को मिटाने के लिए अनेक षडयंत्र चले और चल रहे हैं और हिंदू संस्कृति, साधु-संत एवं देवी-देवताओं की मजाक उड़ाने लगे थे । दूसरी बात की चीन की सरकार और दुनियाभर में काफी लोग नास्तिक बन गए थे और ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानते थे। ये लोग अपने को ही सर्वश्रेष्ठ मानते थे और पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरण करने लगे थे लेकिन वर्तमान समय में कोरोना वायरस ने एक झटके में बता दिया की सृष्टिकर्ता ईश्वर ही है और उनकी बनाई हुई सनातन हिंदू संस्कृति महान है।*

*जैसे कि*

*■ जब हिन्दू एक दूसरे को हाथ जोड़ कर नमस्ते कर रहा था तो दुनिया उनपर हंस रही थी।*

*■ जब हिन्दू  हाथ पैर धोकर घर मे घुसता था तो दुनिया उनपर हंसती थी।*

*■ जब हिन्दू गाय माता आदि पशुओं की पूजा कर रहे थे तब दुनिया हंस रही थी।*

*■ जब हिन्दू पीपल- तुलसी और जंगलों को पूज रहे थे तब दुनिया हंस रही थी।*

*■ जब हिन्दू  मुख्यतः शाकाहार पर बल दे रहे थे तब पूरी दुनिया हंस रही थी।*

*■ जब हिन्दू योग, प्रणायाम कर रहा था तब दुनिया हंस रही थी।*

*■ जब हिंदू शास्त्र और साधु-संतों के बताये अनुसार चल रहे थे तब दुनिया हंस रही थी।*

*■ जब हिन्दू ध्यान-भजन , पूजा, पाठ, यज्ञ , हवन कर रहे थे तब दुनिया हंस रही थी।*

*■ जब हिन्दू श्मशान और अस्पताल से आकर स्नान करते थे तब दुनिया हंसती थी।*

*🚩लेकिन अब ????*
*अब कोई हम हिंदू पर नही हंस रहा, बल्कि सब यही अपना रहे हैं।*

*🚩सच ही कहा गया है हिन्दू कोई धर्म नहीं, ये जीवन पद्धति है अगर अभी भी इस बात को जल्दी जितना समझ लें तो अच्छा है।*

*🚩सबकुछ पालनकर्ता परब्रह्म परमात्मा ईश्वर ही है औऱ उनकी बनाई हुई सनातन हिंदू संस्कृति महान है क्योंकि यही संस्कृति हमारा जीवन उन्नत,  बेहतरीन और सुरक्षित रख सकती है बाकी पाश्चात्य संस्कृति में कोई दम नहीं है। वे हमें सिर्फ चिंता, बीमारियां ही दे सकती है । इसलिए हमें अपनी मूल जड़ सनातन संस्कृति की ओर शीघ्र लौटना चाहिए ।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ111