हिन्दू संत को झूठे रेप केस में सजा करवाने वाले अधिकारी को चीते ने फाड़ डाला…

19 May 2018
🚩सन 1994 द्वारका गुजरात के प्रसिद्ध संत केशवानंद स्वामी पर उनके ही ट्रस्ट(‘सनातन सेवा मंडल’) द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ती रीता नाम कि छात्रा ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया ।
🚩मीडिया को तो मानो एक बड़ा मसाला ही मिल गया,  दिन-रात स्वामी जी कि बदनामी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी केशवानंदजी को मीडिया के द्वारा इतना बदनाम किया गया था कि कोई वकील उनकी तरफ से केस लड़ने को तैयार नहीं हुआ ।
Cheetah torn by an officer punishing the
Hindu saint in a false rape case
🚩अनेक पुलिस अधिकारियों ने आपस में मिलकर स्वामी जी के खिलाफ झूठे गवाह बनाये।
🚩स्वामी जी को गिरफ्तार करके जेल में भेज दिया गए। सेशन कोर्ट में केस चला । आखिरकार झूठे सबूतों के आधार पर सेशन कोर्ट ने स्वामी जी को 12 साल की सजा सुना दी ।
🚩लेकिन निर्दोष संत को सताने पर प्रकृति कोपित हो जाती है जिस अधिकारी ने यह षड्यंत्र रचा था उसको गोधरा (गुजरात) में चीते ने फाड़ डाला । दूसरा अधिकारी अशांति कि खाई में जा गिरा, तीसरे अधिकारी को भी भयंकर भोगना पडा, सभी अधिकारी तबाह हो गये।
🚩स्वामी केशवानन्द जी का केस उच्च न्यायालय में पहुँचा 2001 में स्वामी जी को निर्दोष बरी कर दिया गया पर 7 साल तक उनको जेल में ही रहना पड़ा ।
🚩उनको सजा दिलवाने वाले तो तबाह हो ही गये पर जो उनकी इतनी बदनामी हुई उसका क्या?
 इतने साल जो यातनाएं सहनी पड़ी और जो समय बर्बाद हुआ उसका क्या? क्या कोई न्यायालय या मीडिया या सरकार उसकी भरपाई कर पायेगा ?
🚩बता दें कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का मुख्य गुनहगार जनरल डायर जिसने ग्यारह सौ निर्दोष लोगों कि जान ली थी वह अपने अंतिम दिनों में पागल हो गया था। वह बार-बार चिल्लाता था कि जिनके ऊपर मैंने गोलियां चलाई थी उनकी आत्मा मुझे परेशान कर रही है। उसके घरवालों ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया था । अंत में वह पैरालिसिस सहित तमाम बीमारियों का शिकार होकर पागलपन में ही मर गया ।
🚩ठीक यही साध्वी प्रज्ञा और दूसरे हिंदुओं पर अमानवीय अत्याचार करने वाले महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों के साथ हो रहा है पहले हेमंत करकरे का असामयिक निधन हुआ फिर 2 सालों के बाद उसकी पत्नी का निधन हुआ । फिर दूसरे अत्याचारी हिमांशु रॉय को कैंसर हुआ और उसने अपनी बीमारी से परेशान होकर अपने मुंह में रिवाल्वर रखकर फायरिंग करके आत्महत्या कर लिया ।
🚩वर्तमान में भी जो हिन्दू संत आसारामजी बापू के साथ अत्याचार हो रहा है उनको कांग्रेस सरकार के इशारे पर फंसाया गया। आज कांग्रेस कि क्या हालत है पूरे देश से छुपा नहीं है । पूरे भारत में केवल दो ही राज्यो में बची है ।
🚩स्वामी केशवानंद कि तरह का ही केस आसारामजी बापू के लिए भी बनाया गया है:
🚩तभी तो शाहजहांपुर(उत्तर प्रदेश) कि लड़की, (मध्य प्रदेश) छिंदवाड़ा में पढ़ने वाली, तथाकथित
घटना जोधपुर(राजस्थान) कि FIR दिल्ली में जाकर रात को 2:25 बजे होती है….वो भी घटना के पांच दिनों के बाद…!
🚩जब FIR में rape (बलात्कार) शब्द नही है, मेडिकल रिपोर्ट में rape कि पुष्टि नहीं हुई, मेडिकल रिपोर्ट में एक खरोंच भी नही आई । फिर भी राष्ट्र विरोधी ताकतों के इशारे पर बिकाऊ नेता और मीडिया के पूरे तंत्र ने बापू आसारामजी को आजीवन जेल के अन्दर रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया ।
🚩स्वामी केशवानंद जी को षड़यंत्र के तहत जेल भेजने के लिए उनके ही भक्त होने का दिखावा करके जानबूझकर उन परिवार वालों ने अपने बेटी को स्कूल में दाखिल कराया था ये साबित हो गया। अब उनको ये सब करने के लिए कितने पैसे मिले होंगे वो तो भगवान जाने ।
🚩 ऐसे ही मामला हिन्दू संत आसाराम बापू पर है उनके ही भक्त कि गुरुकुल की लड़की को तैयार किया गया है फर्क इतना है कि केशवानन्द जी पर बलात्कार का केस लगाया गया और बापू आसारामजी पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है मेडिकल रिपोर्ट में कुछ नही होते हुए भी और सबसे बड़ा सबूत खुद लड़की कि कॉल डिटेल के अनुसार लड़की उस रात किसी संदिग्ध व्यक्ति से लगातार संपर्क में थी । लड़की कि उम्र के संबंध में भी दस्तावेज न्यायलय में पेश किए गए। अलग-अलग दस्तावेजों में लड़की कि उम्र अलग-अलग पाई गई ।
🚩फिर भी बापू आसारामजी को पॉक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद कि सजा दे दी गई ।
🚩कैसी विडंबना है!!
🚩आगे जब बापू आसारामजी के केस कि अपील उच्च न्यायालय में होगी और उसमें वो निर्दोष बरी होंगे तो कौन लौटाएगा उनका वो समय, जो उन्होंने जेल में बिताया ??
 🚩मीडिया द्वारा कि गई बदनामी और उनकी उम्र का लिहाज न करते हुए उन पर कि गई यातनाओं का जिम्मेदार कौन होगा ???
🚩क्या भारत में हिन्दू संत होकर हिन्दू संस्कृति के लिए काम करना गुनाह है?
🚩अगर नहीं तो क्यों एक के बाद एक संतों को पहले फंसाया जाता है फिर सालों जेल में रखकर उन्हें निर्दोष बरी किया जाता है !!
ये सिलसिला आखिर कबतक चलता रहेगा ??
 🚩आखिर कब तक हिन्दू भी मूकदर्शक बना चुपचाप सब देखता रहेगा ???
🚩पिछले कुछ सालों से विदेशी ताकतों के इशारे पर संतों को जेल भेजने का षड्यंत्र पूरे जोरशोर से चल रहा है ।
🚩ये हम सब हिंदुओं के लिए भी शर्मनाक है कि हम सब ये देखकर भी मौन है और षड्यंत्रकारी अपने षडयंत्रों में सफल हो रहे हैं ।
🚩पर षड्यंत्रकारी सुन ले । ऊपर वाले कि लाठी में आवाज नहीं होती पर वो किसी को छोड़ती नहीं है हिन्दू भले अपने हिन्दू संतों के लिए कुछ न करे पर सबके सामने हैं कि अभीतक जिन अधिकारियों ने राष्ट्र विरोधी ताकतों के इशारे पर जिन हिन्दू संतों और हिंदुत्वनिष्ठों को फंसाने का काम किया । भगवान ने उन्हें सबक सीखा दिया । अभी वाले भी सावधान हो जाये तो अच्छा है नहीं तो आपका भी आने वाला समय बहुत बुरा है । क्योंकि कर्म किसी का पीछा नहीं छोड़ता । कर्म करने पर आपका अधिकार है उसके फल पर नहीं ।
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इतिहास देख लो हयातिकाल में सभी संतों की भयंकर निंदा हुई है, बाद में लोग पूजते हैं

🚩भारत देश #ऋषि-मुनियों, #साधु-संतों का देश रहा है, उनके ही मार्गदर्शन में राजसत्ता चलती थी, भगवान #श्रीकृष्ण भी #संदीपनी ऋषि के पास जाते थे, भगवान #श्री राम भी उनके गुरु #वशिष्ठ के पास से सलाह सूचन लेने के बाद ही कुछ निर्यण लेते थे, वर्तमान में भी देश सच्चे साधु-संतों के कारण ही देश में सुख-शांति है और देश की संस्कृति जीवित है।
See history, all saints have been severely condemned
 in the Hyattikalal, people worship afterwards
🚩वर्तमान में #विदेशी फंड से चलने वाली #मीडिया द्वारा एक #कुचक्र चल रहा है जिसमें सभी #हिन्दू साधु-संतों को #बदनाम #किया जा रहा है, भारत की भोली जनता भी उन्हीं को सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं की निंदा करने लगी है और बोलते हैं कि पहले जैसे साधु-संत नहीं हैं पर अगर वे भगवान श्री राम के गुरु की योगवासिष्ठ महारामायण पढ़े तो उसमें भगवान श्री रामजी के गुरुजी विशिष्ठ जी कहते है की “मैं बाजार से गुजरता हूँ तो मूर्ख लोग मेरे लिए न जाने क्या-क्या बोलते हैं पर मेरा दयालु स्वभाव है मैं सबको क्षमा कर देता हूँ ।”
🚩त्रेतायुग में भी भगवान रामजी जिनको पूजते थे उनको भी जनता ने नही छोड़ा तो आज तो कलयुग है लोगों की मति-गति छोटी है इसलिए साधु-संतों की निंदा करेंगे और उनके भक्तों को अंधभक्त ही बोलेंगे ।
🚩आइये आपको बताते हैं पहले जो महापुरुष हो गए उनकी कैसी निंदा हुई और बाद में कैसे लोग पूजते गए..
🚩स्वामी विवेकानंदजी
🚩अत्याचार : ईसाई #मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने #प्रताप मजूमदार द्वारा दुश्चरित्रता, स्त्री-लम्पटता,  ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी आदि आरोप लगाकर अखबारों आदि के द्वारा बहुत #बदनामी की गयी ।
🚩परिणाम : काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थी उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में #स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही #विजय हुई । (संदर्भ : युगनायक विवेकानंद, लेखक – स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 109, 112, 121, 122)
🚩महात्मा बुद्ध
🚩अत्याचार : #सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी #हत्या के #आरोप लगाये गये और सर्वत्र घोर #दुष्प्रचार हुआ ।
🚩परिणाम : उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया । कुछ समय बाद #महात्मा बुद्ध #निर्दोष साबित हुए । लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं ।
(संदर्भ : लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, लेखक – पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25)
🚩संत कबीरजी
🚩अत्याचार : अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि कई घृणित #आरोप लगाये गये और बादशाह #सिकंदर के आदेश से कबीरजी को #गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया ।
🚩परिणाम : अंत में #बादशाह ने #माफी माँगी और शिष्य बन गया ।
(संदर्भ : कबीर दर्शन, लेखक – डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92 से 96)
🚩संत नरसिंह मेहताजी
🚩अत्याचार : जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार करने के #आरोप लगाकर खूब बदनाम व #प्रताड़ित किया गया ।
🚩परिणाम : #नरसिंह मेहताजी #निर्दोष #साबित हुए । आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र हो रहे हैं ।    (संदर्भ : भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन – गीताप्रेस)
🚩स्वामी रामतीर्थ
🚩अत्याचार : #पादरियों और #मिशनरियों ने लड़कियों को भेजकर दुश्चरित्र सिद्ध करने के #षड्यंत्र रचे और खूब #बदनामी की । जान से मार डालने की धमकी एवं अन्य कई प्रताड़नाएँ दी गयी।
🚩परिणाम : स्वामी रामतीर्थजी के सामने बड़ी-बड़ी #मिशनरी #निरुत्तर हो गई। उनके द्वारा प्रचारित वैदिक संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से अनेकों का जीवन आलोकित हुआ । (संदर्भ : राम जीवन चित्रावली,  रामतीर्थ प्रतिष्ठान, पृष्ठ 67 से 72)
🚩संत ज्ञानेश्वर महाराज
🚩अत्याचार : कई वर्षों तक समाज से #बहिष्कृत करके बहुत अपमान व निंदा की गयी । इनके माता-पिता को 22 वर्षों तक कभी तृण-पत्ते खाकर और कभी केवल जल या वायु पीके जीवन-निर्वाह करना पड़ा । ऐसी #यातनाएँ ज्ञानेश्वरजी को भी सहनी पड़ी ।
🚩परिणाम : #लाखों-करोड़ों लोग आज भी संत ज्ञानेश्वर जी द्वारा रचित ‘#ज्ञानेश्वरी गीता’ को श्रद्धा से पढ़-सुन के अपने हृदय में #ज्ञान-भक्ति की ज्योति जगाते हैं और उनका #आदर-पूजन करते हैं । (संदर्भ : श्री ज्ञानेश्वर चरित्र और ग्रंथ विवेचन, लेखक – ल.रा. पांगारकर, पृष्ठ 32, 33, 38)
🚩भक्तिमती मीराबाई
🚩अत्याचार : चरित्रभ्रष्टता का आरोप लगाया गया । कभी नाग भेजकर तो कभी #विष पिला के, कभी भूखे शेर के सामने भेजकर तो कभी #तलवार चला के जान से #मारने के #दुष्प्रयास हुए ।
🚩परिणाम : जान से मारने के सभी #दुष्प्रयास #विफल हुए । मीराबाई के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती गयी । उनके गाये पदोें को पढ़-सुनकर एवं गा के आज भी लोगों के विकार मिटते हैं, भक्ति बढ़ती है ।
🚩 वर्तमान में भी #शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी, #स्वामी नित्यानंदजी, #स्वामी केशवानंदजी, श्री #कृपालुजी महाराज, #संत आशारामजी बापू, #साध्वी प्रज्ञा सिंह आदि हमारे #संतों को #षड्यंत्र में फँसाकर #झूठे आरोप लगा के #गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश #मीडिया द्वारा #झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी ।
🚩इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि #सच्चे संतों व महापुरुषों की #जय-जयकार होती रही है और आगे भी होती रहेगी । दूसरी ओर #निंदकों की #दुर्गति होती है और समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से ही देखता है । अतएव समझदारी इसीमें है कि हम संतों का आदर करके या उनके आदर्शों को अपनाकर लाभ न ले सकें तो कम-से-कम उनकी निंदा करके या सुनके अपने पुण्य व शांति को तो नष्ट न करें ।
🚩#सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से #समाज को #जगाने का #प्रयास किया है, तब-तब उनको #विधर्मी ताकतों के द्वारा #बदनाम करने के लिए #षड्यंत्र किये गये हैं ।
जिनमें वे हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर हिन्दू संतों के खिलाफ #दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं ।
🚩यह #हिन्दुओं की #दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते । इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं ।
🚩अतः हिन्दू सावधान रहें ।
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मीडिया ट्रायल न्यायधीशों को प्रभावित करने कि एक बड़ी प्रवृत्ति – दिल्ली उच्च न्यायालय

🚩मीडिया ट्रायल इतना खतरनाक है कि किसी भी अच्छे व्यक्ति कि छवि को खराब कर दे और बुरे व्यक्ति को महान बना दे। भारत में आज यही सब चल रहा है । इसके लिए न्यायलय ने भी चिंता जताई है।
🚩दिल्ली उच्च न्यायलय ने कहा है : ‘‘मीडिया में दिखायी गयी खबरें न्यायधीश के फैसलों पर असर डालती हैं । खबरों से न्यायधीश पर दबाव बनता है और फैसलों का रुख भी बदल जाता है। पहले मीडिया अदालत में विचाराधीन मामलों में नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हुए खबरें नहीं दिखाता था लेकिन अब नैतिकता को हवा में उड़ा दिया है।
🚩मीडिया ट्रायल के जरिये दबाव बनाना न्यायधीशों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति है। जाने-अनजाने में एक दबाव बनता है और इसका असर आरोपियों और दोषियों की सजा पर पड़ता है ।’’
A big tendency to influence media trial judges – Delhi High Court
🚩सर्वोच्च न्यायलय के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति के एस. राधाकृष्णन् का मानना है : ‘‘मीडिया ट्रायल अच्छा नहीं है क्योंकि कई बार इससे दृढ़ सार्वजनिक राय कायम हो जाती है जो न्यायपालिका को प्रभावित करती है । मीडिया ट्रायल के कारण कई बार आरोपी कि निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती ।’’
🚩न्यायधीशों की बात सही है अभी हाल कि तीन ताजा उदाहरण देते है।
🚩पहला कठुआ में जनवरी की घटना का तूल पकड़ता है अप्रैल में! और एक हिन्दू को पकड़ा जाता है जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट आया है कि रेप हुआ ही नही लेकिन मीडिया ट्रायल के कारण एक हिंदू युवक को जेल जाना पड़ा और मंदिर को बदनाम किया गया ।
🚩दूसरा मामला सलमान खान है अभी हाल ही में जोधपुर सेशन कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई लेकिन जैसे ही मीडिया ने सलमान खान के फेवर में खबरें दिखानी शुरू किया तो दो दिन में ही जमानत मिल गई ।
🚩तीसरा मामला है हिन्दू संत आसारामजी बापू का जब भी उनकी जमानत अर्जी लगती है तो मीडिया उनके खिलाफ खबरे चलाना शुरू कर देती जिससे उनको जमानत नही मिल पाती और निर्णय सुनाने पहले ही उनके खिलाफ खबरें दिखाना शुरू किया जिससे उनको उम्रकैद की सजा दी गई जबकि गवाहों और सबूतों के आधार पर केस बनता ही नही है और मीडिया जिसको रेप (बलात्कार) शब्द उपयोग कर रही है वास्तविकता में उनके ऊपर रेप का कोई आरोप ही नही है केवल छेड़छाड़ी के ही आरोप है, उसमे ही उनको उम्रकैद कि सजा दे दी तो कही न कही मीडिया ट्रायल का ही प्रभाव है ।
🚩पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रविशेखर सिंह बताते हैं : ‘‘कई देशों में मीडिया ट्रायल के खिलाफ बड़े सख्त कानून बनाये गये हैं। इंग्लैंड में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1981 की धारा 1 से 7 में मीडिया ट्रायल के बारे में सख्त निर्देश दिये गये हैं । कई बार इस कानून के तहत बड़े अखबारों पर मुकदमा भी चलाये गये हैं । धारा 2(2) के तहत प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसा कोई समाचार प्रकाशित नहीं कर सकता जिसके कारण ट्रायल की निष्पक्षता पर गम्भीर खतरा उत्पन्न होता हो । जिस तरह भारत में मीडिया ट्रायल के द्वारा केस को गलत दिशा में मोड़ने का प्रचलन हो रहा है, ऐसे में अन्य देशों की तरह भारत में भी मीडिया ट्रायल पर सख्त कानून बनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है।’’
🚩विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य संरक्षक व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अशोक सिंहलजी कहते हैं : ‘‘मीडिया ट्रायल के पीछे कौन है ? हिन्दू धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के लिए मीडिया ट्रायल पश्चिम का बड़ा भारी षड़्यंत्र है हमारे देश के भीतर ! मीडिया का उपयोग कर रहे हैं विदेश के लोग ! उसके लिए भारी मात्रा में फंड्स देते हैं, जिससे हिन्दू धर्म के खिलाफ देश के भीतर वातावरण पैदा हो ।’’
🚩मीडिया विश्लेषक उत्पल कलाल कहते हैं: ‘‘यह बात सच है कि संतों, राष्ट्रहित में लगी हस्तियों पर झूठे आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल द्वारा देशवासियों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है । जनता पर अपनी बात को थोपना, सही को गलत, गलत को सही दिखाना – क्या इससे प्रजातंत्र को मजबूती मिलेगी । मीडिया के ऐसी रिपोर्टिंग पर सरकार, न्यायपालिका और जनता द्वारा लगाम कसी जानी चाहिए ।
🚩राजस्थान उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश सुनील अम्बवानी ने बताया था कि जब तक लोगों की मान्यता नहीं बनी है तब तक वह न्यायधीश किसी से नहीं डरता है । लेकिन मीडिया कई मामलों में पहले ही सही-गलत की राय बना चुका होता है । इससे न्यायधीश पर दबाव बन जाता है कि एक व्यक्ति जो जनता कि नजर में दोषी है, उसको अब दोषी ठहराने की जरूरत है । न्यायधीश भी मानव है । वह भी इनसे प्रभावित होता है ।
🚩कई न्यायविद् एवं प्रसिद्ध हस्तियाँ भी मीडिया ट्रायल को न्याय व्यवस्था के लिए बाधक मानती हैं । एक याचिका कि सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश न्यायमूर्ति कुरीयन जोसेफ ने कहा है : ‘‘दंड विधान संहिता की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज आरोपी के बयान भी मीडिया को जारी कर दिये जाते हैं। अदालत में मुकदमा चलता है, उधर समान्तर मीडिया ट्रायल भी चलता रहता है।’’ सर्वोच्च न्यायलय ने कहा है : ‘‘मीडिया का रोल अहम है और उससे उम्मीद कि जाती है कि वह इस तरह अपना काम करे कि किसी भी केस कि छानबीन प्रभावित न हो । जब मामला अदालत में हो, तब मीडिया को संयम रखना चाहिए । उसे न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने से बचना चाहिए।’’
🚩उच्चतम न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर कहते हैं : ‘‘मीडिया ट्रायल काफी चिंता का विषय है । यह नहीं होना चाहिए। इससे अभियुक्त के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की धारणा बनती है । फैसला अदालतों में ही होना चाहिए ।’’
🚩अब मीडिया पर लगाम लगाना जरूरी है नही तो एक के बाद एक इसके शिकार होते रहेंगे ।
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हिन्दू धर्म को दुनियाभर में बदनाम करने के लिए कांग्रेस ने रचे थे अनेक षडयंत्र

🚩भारतीय संस्कृति इतनी महान है कि उसको तोड़ने के लिए विदेशी ताकतें लगी रही है और जो उसको बचाने के लिए आगे आते हैं उनको नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया जाता है ।
🚩विदेशी ताकतों के इशारे पर चलने वाली कांग्रेस सरकार ने भारत देश में करीब 60 साल तक राज किया है उसमें भी आखिरी 10 साल में तो उन्होंने विदेशी ताकतों के इशारों पर भारतीय संस्कृति रक्षार्थ कार्य करने वालों को झूठे आरोपों द्वारा जेल भिजवा दिया और मीडिया द्वारा इतनी बदनामी करवाई कि आम जनता उनसे विमुख हो जाये।
🚩कांग्रेस ने हिन्दू धर्म को केवल भारत में ही नही वरन पूरी दुनिया में बदनाम करने के लिए कई षड्यंत्र रचे ।
जिसके तहत दो षड्यंत्र प्रमुख थे।
Congress had created many conspiracies to defame Hinduism in the world.

🚩1. हिन्दू आतंकवाद शब्द गढ़ना जिससे दुनिया को लगे कि हिन्दू संस्कृति खराब है और हिन्दू ही आतंकवादी होते हैं ।

🚩2. साधु संतों को मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर उनकी छवि धूमिल करना, जिससे जनता उनसे नफरत करने लगे जिसे ईसाई मिशनरियों को धर्मांतरण करने में आसानी रहे ।
🚩कांग्रेस द्वारा हिन्दू आतंकवाद साबित करने के लिए कई हिंदुत्वनिष्ठों को निशाना बनाया गया ।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
स्वामी असीमानंद
शंकराचार्य अमृतानंद
कर्नल पुरोहित
डीजी बंजारा
🚩दूसरे प्रकार के षड्यंत्र के तहत फंसाये गये हिंदुत्वनिष्ठ-
शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती –
सत्य साई बाबा
स्वामी नित्यानंद
श्री कृपालु महाराज
संत आसाराम बापू
🚩वर्तमान सरकार ने इन सभी देश भक्त लोगों को बारी-बारी से न्याय दिलवाया।
🚩इनमें से अब केवल संत आसाराम बापू ही जेल में हैं, बाकि सभी निर्दोष बरी हो चुके हैं ।
🚩कांग्रेस को बापू आसारामजी को बदनाम करवाने में बहुत पसीना आया, सबसे पहले 2008 में बापू आसारामजी के आश्रम में दो बच्चो की मौत का इल्जाम लगाया, मगर वहाँ से उनको क्लीनचिट मिल गई जिसके कारण वे सफल नही हो पाए।
🚩फिर कांग्रेस ने POCSO कानून बनाया और इस कानून का पहला शिकार बापू आसारामजी का किया गया ,क्योकि POCSO में जमानत होना भी मुश्किल होता है।
🚩आप भी जानिए कांग्रेस द्वारा संत आसाराम बापू को साइड करना क्यों जरूरी था –
🚩 – सबसे पहले ,राहुल गांधी को पप्पू बापू  आसारामजी ने ही कहा था।
🚩– बापू आसारामजी ने ही पहली बार कहा था ,सोनिया मैडम भारत छोड़ो।
🚩– झारखंड राज्य में बापू आसारामजी ने एक साल में लाखों आदिवासियों को दोबारा हिन्दू बनाया जो ईसाई बन चुके थे।
🚩-गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान जहाँ भारी मात्रा में ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करवा रही थी वहाँ जाकर गरीबों को मकान बनवा कर दिया, जीवनुपयोगी  वस्तुएं दी और हिन्दू धर्म की महिमा बताई जिससे ईसाई मिशनरियों का मिशन फ्लॉप हो गया।
🚩– बापू आसारामजी हिन्दू धर्म को विश्व पटल के चरम पर पहुँचा रहे थे और भारत में धर्मान्तरण नही होने दे रहे थे जिसके कारण वेटिकन सिटी बापू आसारामजी के खिलाफ हो गया ।
🚩– बापू आसारामजी के देशभर में 40 से भी अधिक वैदिक गुरुकुल महंगी फीस ऎंठने वाले कान्वेंट स्कूलों पर भारी पड़ रहे हैं।
🚩– 2006 से बापू आसारामजी ने शुरू किया 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस, जिसका बढ़ता प्रभाव देखकर वैलेंटाइन की दुकाने बंद होने लगी जिससे विदेशी कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा ।
🚩– 2017 के गुजरात चुनाव में एक प्रमुख पादरी ने ईसाईयों से BJP को हराने को कहा। बापू आसारामजी ने अगले ही दिन मीडिया द्वारा राष्ट्रवादियों को जिताने का सन्देश भेज दिया।
🚩-हाल ही में DK त्रिवेदी कमीशन ने बापू आसारामजी को 2008 केस में क्लीन चिट दी तो कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा में हंगामा शुरू कर दिया और BJP विधायक के ऊपर माइक से हमला कर दिया।
🚩– 2013 के झूठे रेप केस में भी जल्द ही फैसला आने की संभावना है। संत आसाराम बापू के बाहर आने के रस्ते खुलते नजर आ रहे हैं तो कइयों के राजनीतिक चूल्हे हिल जाएंगे इसलिए वे लोग अभी भी उनको अंदर रखना चाहते हैं पर सत्य को कबतक झूठ की परतों से ढका जा सकता है !!
🚩आपको बता दें कि न्यायालय में बहस के दौरान सारी परतें खुल चुकी हैं जिसमें उनको षडयंत्र तहत फंसाने के कई प्रमाण सामने आए हैं । अब 25 अप्रैल को जो फैसला आएगा वो उनके पक्ष में ही आयेगा ऐसा जानकारों का कहना है ।
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जेल से हिन्दू संत आसाराम बापू ने न्यायालय को लिखा पत्र

🚩हिन्दू संत बापू आसारामजी बिना सबूत पिछले 4 साल 7 महीने से जोधपुर जेल में न्यायिक हिरासत में हैं, फास्ट ट्रैक का ये केस जिसकी सुनवाई साल भर में पूरी हो जानी चाहिए थी, वो केस साढ़े चार साल से हांफ रहा था, अब जाकर न्यायालय में इस केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है और 25 अप्रैल 2018 को निर्णय आने वाला है ।
🚩न्यायालय द्वारा दिनांक 25.04.2018 को सुनाये जाने वाले निर्णय के कारण कानून व्यवस्था भंग होने की जो आशंका सरकार ने व्यक्त की है उस संदर्भ में हिन्दू संत बापू आसारामजी ने अपना निवेदन निम्न मुद्दों पर प्रस्तुत किया।
from-jail-hindu-saint-asaram-bapu-wrote-letter-to-the-court
🚩1. पिछले लगभग पौने 05 वर्ष से लगातार न्यायालय में पेशियां होती रही हैं। जिसमें मेरे किसी भक्त द्वारा कानून व्यवस्था भंग करने की स्थिति उत्पन्न नहीं की गयी है। पेशी के दौरान न्यायालय के जाने वाले मार्ग तथा न्यायालय परिसर में कभी कभी जो भीड़ होती थी, वह मात्र दर्शन के लिए होती थी। दर्शनार्थी भक्तों में से किसी भक्त द्वारा कानून व्यवस्था भंग नहीं की गई है। हमारे भक्तों द्वारा कानून व्यवस्था भंग करने की स्थिति न तो आज तक उत्पन्न की गई है तथा ना ही कभी भंग की जा सकती है।
🚩2. हमारे विरुद्ध षड्यंत्रपूर्वक एक आरोप को बहुत तूल दिया गया है। जबकि हमारे द्वारा पिछले 55 वर्षों से राष्ट्र व समाज को सही दिशा में ले जाने हेतु जो कार्य किये गए हैं, उन्हें दबा दिया गया है। इन कार्यों की प्रशंसा देश के कई प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों एवं न्यायविदों व समाज के हर वर्ग द्वारा की गई है।
🚩3. हमारी संस्था द्वारा हजारों बाल संस्कार केंद्र चल रहे हैं। गौशालाओं में लगभग 9000 गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। संस्था द्वारा बच्चों व युवाओं को संस्कारित किये जाने का कार्य मातृ-पितृ पूजन दिवस जैसे कार्यक्रमों द्वारा किया जा रहा है। समाज में गरीब व पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए कई सेवा प्रकल्प चलाये जाते हैं। स्नेह, सद्भाव, भाई चारा एवं राष्ट्रीय एकता की महता, बेटी बचाओ, बेटी पढाओं का नारा व नारी उत्थान के कार्य चलाये जाते हैं।
🚩माननीय न्यायालय व पुलिस तथा प्रशासन के अधिकारी जहाँ भी उचित समझे हम वही फैसला सुनने को सहमत हैं। हमारे द्वारा हमेशा न्यायपालिका एवं पुलिस प्रशासन के प्रति सद्भाव रहा है व रहेगा। – सादर आसाराम बापू
🚩गौरतलब है कि बापू आसारामजी का समाज व देशहित के सेवाकार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा बड़ी-बड़ी सुप्रसिद्ध हस्तियों ने उनके आश्रम को प्रशस्ति पत्र देकर की है ।
🚩आइये अब बापू आसारामजी द्वारा हुए सेवाकार्यों पर भी नजर डालें ।
🚩ईसाई मिशनरियों को दिन के तारे दिखाकर, लाखों ईसाई बने हिंदुओं की घरवापसी करवाई और धर्मांतरण पर रोक लगाई ।
🚩शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया ।
🚩कत्लखाने जाती हजारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया ।
🚩अभी हाल ही में राजस्थान पशु पालन विभाग की ओर से उनकी निवाई गौशाला को राजस्थान की सर्वश्रेष्ठ गौशाला घोषित कर पुरस्कृत किया गया है।
https://twitter.com/AshramGaushala/status/956841906549415937
🚩विदेशी कंपनियों से हो रही शारीरिक व आर्थिक हानि से देश को बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथी का प्रचार-प्रसार कर एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से होने वाले रोगों से समाज को सचेत किया ।
🚩पाकिस्तान, अमेरिका, चाईना आदि बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया ।
🚩देश में बढ़ती वृद्धाश्रमों की संख्या व बुजुर्ग माता-पिता की वेदना से व्यथित हो युवावर्ग को वेलेंटाइन डे जैसी कुरीति से मोड़कर “मातृ-पितृ पूजन दिवस”
जैसी अनोखी पहल की जिसे आज विश्वस्तर पर मनाया जाने लगा है ।
🚩क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री के बजाय हिन्दू संस्कृति में पूजनीय, माँ तुलसी की पूजा करके ये दिन हिन्दू संस्कृति के अनुसार मनाने को प्रेरित किया ।
🚩बिकाऊ मीडिया को रुपयों के पैकेज ना देकर जगह-जगह पर गरीब इलाकों में चलचिकित्सालय चलवाकर निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध करवाई  ।
🚩पिछले 50 वर्षों से लगातार आदिवासियों के बीच मुफ्त भंडारा,मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बांटने के साथ-साथ उन्हें हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई ।
🚩नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त करवाया, जिसका भारी नुकसान विदेशी कंपनियों को झेलना पड़ा ।
🚩महिलाओं के सर्वागीण विकास के लिए जगह-जगह पर महिला मंडलों द्वारा नारी सशक्तिकरण के लिए कई अभियान चलाये ।
🚩17000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र और अनेकों गुरुकुलों द्वारा बच्चों के सर्वागीण विकास के साथ-साथ बचपन से ही उन्हें अपनी संस्कृति की ओर अभिमुख किया ।
https://www.youtube.com/user/BaalSanskar
🚩हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, संत श्री आशारामजी गुरुकुल, अहमदाबाद द्वारा बनाया गया विश्व में सबसे ऊंचा मानव पिरामिड ।
🚩भौतिकता और आध्यात्मिकता का समन्वय कर मानव में छुपी शक्तियों को जगाकर भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करवाने में सदैव प्रयासरत रहने वाले बापू आसारामजी, जिनको “भारत रत्न” की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए वो संत बिना किसी सबूत के सालों से जेल में हैं ।
🚩आज करोड़ों लोगों की नजरें सरकार व न्यायालय की ओर हैं कि वो कब देशहित, समाजहित, प्राणिमात्र के हित में सेवारत रहने वाले बापू आसारामजी के साथ इंसाफ करती हैं ।
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पॉक्सो एक्ट के तहत चल रहे बापू आसारामजी के केस में आरोप लगाने वाली लड़की निकली बालिग

March 21, 2018
अनुसूचित जाति जनजाति अदालत के पीठासीन अधिकारी श्री मधुसुदन शर्मा आरएचजेएस की अदालत में पिछले साढ़े 4 साल से बिना किसी सबूत के जोधपुर जेल में बंद हिन्दू संत बापू आसारामजी के केस में बचाव पक्ष (बापू आसारामजी का पक्ष) की ओर से अंतिम बहस पूरी हो चुकी है और अभियोजन पक्ष (लड़की का पक्ष) की ओर से 20.03.2018 से बहस शुरू हो चुकी है ।
जिसमें सबसे बड़ा आश्चर्यजनक खुलासा जो सामने आया है वो ये है कि जिस पॉक्सो एक्ट (जो लड़की के नाबालिक होने पर लगता है)  के तहत बापू आसारामजी को पिछले साढ़े चार साल से उनके लड़खड़ाते स्वास्थ्य के बावजूद बेल तक नहीं दी गई, उसमें अभियोजन पक्ष (लड़की का पक्ष) आजतक लड़की को नाबालिग नहीं साबित कर पाया ।
In the case of Bapu Asaramji, under the pocso act Accusatory girl Found Adult
बापू आसारामजी के वकील सुराणा जी ने मीडिया में बताते हुए स्पष्ट किया कि लड़की के वकील ने न्यायालय में इस बात को स्वीकार कर लिया है कि वो लड़की को नाबालिग नहीं साबित कर पाए । क्योंकि वे लड़की के matriculation certificate को साबित नहीं करवा सके हैं । इस प्रकार लड़की का बालिग होना स्वतः ही सिद्ध हो चुका है । ऐसी स्थिति में लड़की को दोबारा बुलाया जाए इसके लिए लड़की के वकील ने एक ऐसी दरख्वास्त लगाई जिसने अभियोजन पक्ष के केस को पूरा ध्वस्त करके रख दिया । इस प्रकार की दरख्वास्त न तो कभी किसी ने आज तक लगाई है और न कोई लगा सकता है ।
सुराणा जी आगे बताया कि लड़की के वकील ने ये भी तर्क दिया कि हमसे बहुत भारी भूल हो गई है, इसलिए लड़की को दोबारा धारा 311 के अंतर्गत  तलब किया जाए।
इस बात पर न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को कहा कि आप बताइए कि आपकी अर्जी किस प्रकार से कानून में चल सकती है ? जब 2014 से लड़की के बयान न्यायालय में 3 महीने निरंतर चल रहे थे, उसके माता-पिता के भी बयान हुए और आपके पास सारे दस्तावेज भी उपलब्ध थे तब आपने उन्हें क्यों साबित नहीं करवाया?
इसके लिए अभियोजन पक्ष के पास में कोई जवाब नहीं था और मीडिया के द्वारा जो सारा मामला पब्लिक के सामने रखा गया उससे साबित हो गया कि कैसे अभियोजन पक्ष ने झूठी और मनगढ़ंत कहानी के आधार पर बापू आसारामजी को इतने सालों से जेल में रखा ।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उम्र संबंधी असली दस्तावेज जब बचाव पक्ष के द्वारा कोर्ट में साबित करवाये गए, उससे ये सिद्ध हो गया कि आरोप लगाने वाली लड़की जिसको नाबालिग बताकर बापू आसारामजी पर पॉक्सो एक्ट लगाया गया वो वास्तव में बालिग है ।
अधिवक्ता सुराणा जी ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष इतने भयाक्रांत हो गए थे कि matriculation certificate को साबित करवाने की ताकत नहीं थी उनमें । इस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बचाव पक्ष की ओर से continuously दस्तावेज न्यायालय में साबित करवाए गए हैं । उसमें अलग-अलग दस्तावेजों में लड़की की उम्र में variations आ रही है किसी दस्तावेज में वो 20 साल की साबित हो रही है, किसी में 19 साल की साबित हो रही है ।
इस प्रकार से आजतक के न्यायालय में पेश हुए सबूतों के आधार पर लड़की बालिग सिद्ध हो चुकी है ।
इससे पहले भी अधिवक्ता सुराणा जी द्वारा मीडिया में ऐसे कई सनसनीखेज़ खुलासे किये गए हैं जिससे स्पष्ट है कि बापू आसारामजी को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है ।
आइये जाने! केस के पीछे छुपे ऐसे कुछ तथ्य जिससे आजतक समाज अनभिज्ञ रहा ।
1. घटना के 5 दिन बाद FIR करवाई गई ।  वो भी जोधपुर की घटना बताकर FIR जोधपुर से 600 कि.मी.दूर दिल्ली में रात्रि 2:45 बजे ।
2. हेल्पलाइन #रजिस्टर के कई #पन्ने #संदिग्ध तरीके से #फाड़ें गए ।
3. 20.08.2013 को लडकी के न्यायालय में मैजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान होने के बाद F.I.R. 21.08.2013 को न्यायालय में पेश की गई ।
4. कमला मार्केट पुलिस स्टेशन, दिल्ली में F.I.R. लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, जो आज तक न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई ।
5. ओरिजिनल एफ.आई.आर. को बदल दिया गया, FIR और FIR की कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया ।
6. जोधपुर के पुलिस स्टेशन में लडकी के बयान रिकोर्ड करते समय की गयी वीडियो रिकार्डिंग में कई जगह interruptions पाए गए |
7.मेडिकल में भी लड़की के शरीर पर एक खरोंच का भी निशान नहीं पाया गया ।
8. उम्र संबंधी अलग-अलग सर्टिफिकेट में लड़की की अलग-अलग उम्र पाई गई ।
9. अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा द्वारा 12 अगस्त से 17 अगस्त 2013 (घटना के समय) की कॉल डिटेल हटाकर कोर्ट में पेश की गई ।
10. लड़की की कॉल डिटेल से स्पष्ट हुआ कि घटना की रात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति से फोन द्वारा संपर्क में थी ।
11. तथाकथित घटना के समय बापू आसारामजी मँगनी कार्यक्रम में व्यस्त थे, लड़की कुटिया में गई ही नहीं ।
अधिवक्ता सुराणा जी ने बताया कि लड़की के माँ-बाप ने जयपुर में भी एक वकील को झूठा मुकदमा दर्ज करवाने के लिए मोटी रकम देने का ऑफर दिया था । इस बात की पुष्टि खुद उस वकील ने न्यायालय में अपने बयान में की ।
पचास करोड़ की फिरौती के लिए मणाई कुटिया का पूरा घटनाक्रम तैयार किया गया ।
इससे पहले डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कई बार खुलासा किया है कि बापू आसारामजी को धर्मपरिवर्तन पर रोक लगाने और लाखों हिन्दुओं की घरवापसी कराने के कारण षडयंत्र के तहत जेल भिजवाया गया है ।
गौरतलब है कि बापू आसारामजी का समाज व देशहित के सेवाकार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा बड़ी-बड़ी सुप्रसिद्ध हस्तियों ने उनके आश्रम को प्रशस्ति पत्र देकर की है ।
आइये अब बापू आसारामजी द्वारा हुए सेवाकार्यों पर भी नजर डालें ।
ईसाई मिशनरियों को दिन के तारे दिखाकर, लाखों ईसाई बने हिंदुओं की घरवापसी करवाई बापू आसारामजी ने ।
शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद
जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया बापू आसारामजी ने ।
 कत्लखाने जाती हजारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया बापू आसारामजी ने ।
अभी हाल ही में राजस्थान पशु पालन विभाग की ओर से उनकी निवाई गौशाला को राजस्थान की सर्वश्रेष्ठ गौशाला घोषित कर पुरस्कृत किया गया है।
 विदेशी कंपनियों से हो रही शारीरिक व आर्थिक हानि से देश को बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथी का प्रचार-प्रसार कर एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से होने वाले रोगों से समाज को सचेत किया बापू आसारामजी ने ।
पाकिस्तान, अमेरिका, चाईना आदि बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया बापू आसारामजी ने ।
देश में बढ़ती वृद्धाश्रमों की संख्या व बुजुर्ग माता-पिता की वेदना से व्यथित हो युवावर्ग को वेलेंटाइन डे जैसी कुरीति से मोड़कर “मातृ-पितृ पूजन दिवस”
जैसी अनोखी पहल की बापू आसारामजी ने, जिसे आज विश्वस्तर पर मनाया जाने लगा है ।
क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री के बजाय हिन्दू संस्कृति में पूजनीय, माँ तुलसी की पूजा करके ये दिन हिन्दू संस्कृति के अनुसार मनाने को प्रेरित किया बापू आसारामजी ने ।
 बिकाऊ मीडिया को रुपयों के पैकेज ना देकर जगह-जगह पर गरीब इलाकों में चलचिकित्सालय चलवाकर निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध करवाई बापू आसारामजी ने ।
पिछले 50 वर्षों से लगातार आदिवासियों के बीच मुफ्त भंडारा,मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बांटने के साथ-साथ उन्हें हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई बापू आसारामजी ने ।
 नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त करवाया बापू आसारामजी ने, जिसका भारी नुकसान विदेशी कंपनियों को झेलना पड़ा ।
महिलाओं के सर्वागीण विकास के लिए जगह-जगह पर महिला मंडलों द्वारा नारी सशक्तिकरण के लिए कई अभियान चलाये बापू आसारामजी ने ।
17000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र और अनेकों गुरुकुलों द्वारा बच्चों के सर्वागीण विकास के साथ-साथ बचपन से ही उन्हें अपनी संस्कृति की ओर अभिमुख किया बापू आसारामजी ने ।
हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, संत श्री आशारामजी गुरुकुल, अहमदाबाद द्वारा बनाया गया विश्व में सबसे ऊंचा मानव पिरामिड ।
भौतिकता और आध्यात्मिकता का समन्वय कर मानव में छुपी शक्तियों को जगाकर भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करवाने में सदैव प्रयासरत रहने वाले बापू आसारामजी, जिनको “भारत रत्न” की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए वो संत बिना किसी सबूत के सालों से जेल में हैं ।
आज करोड़ों लोगों की नजरें सरकार व न्यायालय की ओर हैं कि वो कब देशहित, समाजहित, प्राणिमात्र के हित में सेवारत रहने वाले बापू आसारामजी के साथ इंसाफ करती हैं ।
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India is threatened by Christian missionaries and clerics: Suresh Chavanke

भारत को ईसाई मिशनरियों और पादरियों से खतरा है : सुरेश चव्हाणके

November 27, 2017
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने कहा कि, भारत को राष्ट्रवादियों से नहीं बल्कि ईसाई मिशनरियों और पादरियों से खतरा है, जो भारत को धर्मांतरित कर बर्बाद करने के मुहीम पर हैं, सुरेश चव्हाणके ने बताया कि देश का कोई ऐसा जिला नहीं है जहाँ पर ईसाई मिशनरियों के खिलाफ धर्मांतरण के केस दर्ज नहीं हो।
India is threatened by Christian missionaries and clerics: Suresh Chavanke
सुरेश चव्हाणके ने बताया कि उत्तर पूर्व के राज्यों जैसे नागालैंड, मणिपुर इत्यादि में ईसाई मिशनरियां आतंकियों का भी समर्थन करती है, केरल के मिशनरियों में यौन शोषण के केस रोजाना दर्ज किये जाते हैं ।
उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी इलाकों में लोगों का धर्मांतरण करने के लिए ये लोग पैसों का इस्तेमाल तो करते ही है साथ ही ये लोग पैसों के बल पर गुंडे भी रखते हैं, जिससे धर्मांतरण का विरोध करने वालों का कत्ल तक कर दिया जाता है।
सुरेश चव्हाणके ने यह भी बताया कि राष्ट्रवादी लोग तो भारत की बात करते हैं, भारत की संस्कृति की बात करते हैं, वहीं ईसाई मिशनरियां और पादरी भारत से भारतीय संस्कृति खत्म कर रोम की संस्कृति स्थापित करना चाहते हैं, देश को खतरा राष्ट्रवादियों से नहीं बल्कि पादरियों और ईसाई मिशनरियों से है।
जो लोग राष्ट्र के पक्ष में बोलते हैं, भारतीय सेना के पक्ष में बोलते हैं, भारतीय संस्कृति के पक्ष में बोलते हैं, उन्हें ही राष्ट्रवादी यानि नेशनलिस्ट कहते हैं, जो देश के पक्ष में होते हैं वही राष्ट्रवादी होते हैं।
गुजरात का एक पादरी कहता है कि देश को राष्ट्रवादियों से बचाओ, समझना मुश्किल है कि राष्ट्रवादियों को हटाकर ईसाई पादरी और चर्च गुजरात किसे देना चाहते हैं?
राष्ट्रवाद नहीं तो क्या आतंकवाद..??
गौरतलब है कि हाल ही में गुजरात के ईसाई धर्मगुरु पादरी आर्चबिशप थॉमस मैकवान ने एक पत्र जारी करके लिखा है कि राष्ट्रवादी पार्टी को हरा दो, इस पर प्रहार करते हुए सुरेश चव्हाणके ने ये सब कहा है ।
इसपर मीडिया ने हिन्दू संत आसारामजी बापू का मंतव्य जानना चाहा तो उन्होंने भी कहा कि राष्ट्रहित करने वालो को हराना माने अपने पैर पर कुहाडा मारना हुआ, हम तो चाहते हैं देश का विश्व में जो नाम करते हैं और भारत को विश्वगुरु बनाते हैं भगवान उनके साथ हैं ।
उन्होंने आगे कहा कि जो पार्टी राष्ट्र का मंगल चाहती है, विश्वगुरु बनाना चाहती हैं उनका मंगल ही मंगल होगा देखते रहो ।
हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र
अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था कि
‘‘भारत में ईसाई पादरियों का धर्म-प्रचार हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है, जो कि एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है ।”
 हिन्दुओं का तो यह धार्मिक कर्तव्य है कि वे ईसाइयों के षड्यंत्र से आत्मरक्षा में अपना तन-मन-धन लगा दें और आज जो हिन्दुओं को लपेटती हुई ईसाईयत की लपट परोक्ष रूप से उनकी ओर बढ़ रही है, उसे यहीं पर बुझा दें ।
ऐसा करने से ही भारत में धर्म-निरपेक्षता, धार्मिक बंधुत्व तथा सच्चे लोकतंत्र की रक्षा हो सकेगी अन्यथा आजादी को पुनः खतरे की सम्भावना हो सकती है ।’’(संदर्भ : ‘अखंड ज्योति’ पत्रिका, जनवरी 1967)
फिलॉसफर नित्शे ने कहा कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।
गांधीजी ने धर्मान्तरण पर कठोर बातें कही थी
“हमें गोमांस भक्षण और शराब  पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दु परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा,रिति रिवाज के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे कानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”
जय हिंद!!
हिन्दू राष्ट्र, असम, कश्मीर, hindus outraged,

भारतीय राज्य कश्मीर और असम में हिन्दुओं का बुरा हाल, अस्तित्व भी भारी संकट में

सितम्बर 30, 2017
पूरे विश्व में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं ! नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था परंतु वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। कई चरमपंथी देश से हिन्दुओं को भगाया जा रहा है, परंतु कोई ध्यान नहीं देता। हिन्दू अपने एक ऐसे देश में रहते हैं, जहाँ के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप-संप्रदायों को गैर-हिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने का षडयंत्र भी जारी है !
The bad situation of Hindus in Indian state, Kashmir and Assam, survival too
अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है। इसके कई कारण हैं। इस सच से हिन्दू सदियों से ही मुंह चुराता रहा है जिसके परिणाम समय-समय पर देखने भी मिलते रहे हैं। इस समस्या के प्रति शुतुर्गमुर्ग बनी भारत की राजनीति निश्‍चित ही हिन्दुओं के लिए पिछले 100 वर्षो में घातक सिद्ध हुई है और अब भी यह घातक ही सिद्ध हो रही है। पिछले 70 वर्षो में हिन्दू अपने ही देश भारत के 8 राज्यों में अल्पसंख्‍यक हो चला है। आईए जानते हैं कि, भारतीय राज्यों में हिन्दुओं की क्या स्थिति है . . .
जनसंख्या : भारत में पंथ पर आधारित जनगणना 2001 के आंकडों के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या में 80.5 प्रतिशत हिन्दू, 13.4 प्रतिशत मुसलमान, 2.3 प्रतिशत ईसाई हैं जबकि पिछली जनगणना में हिन्दू 82 प्रतिशत, मुसलमान 12.1 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत ईसाई थे। 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या में मुसलमानों का हिस्सा 2001 में 13.4 प्रतिशत से बढकर 14.2 प्रतिशत हो गया है।
1999 से 2001 के दशक की 29 प्रतिशत वृद्धि दर की तुलना 2001-2011 के बीच मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर घटकर 24 प्रतिशत अवश्य हुई किंतु यह अब भी राष्ट्रीय औसत 18 प्रतिशत से अधिक है। देश के जिन राज्यों में मुसलमानों की जनसंख्या सबसे अधिक है, उनमें क्रमश: जम्मू-कश्मीर (68.3 प्रतिशत) और असम (34.2 प्रतिशत) के बाद प. बंगाल (27.01 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर आता है जबकि केरल (26.6 प्रतिशत) चौथे स्थान पर है।
कश्मीर में हिन्दू :
जब हम कश्मीर की बात करते हैं तो उसमें एक कश्मीर वह भी है, जो पाकिस्तान के कब्जे में है और दूसरा वह, जो भारत का एक राज्य है। इसमें जम्मू और लद्दाख अलग से हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मिलाकर एक राज्य गठित होता है। यह संपूर्ण क्षेत्र स्वांतंत्रता के पहले महाराजा हरिसिंह के शासन के अंतर्गत आता था।
2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर की कुल जनसंख्या 125.41 लाख थी। उसमें 85.67 लाख मुस्लिम थे यानी कुल जनसंख्या के 68.31 प्रतिशत, जैसे कि,1961 में थे, वहीं 2011 में हिन्दुओं की जनसंख्या 35.66 लाख तक पहुंच गई। कुल जनसंख्या का 28.43 प्रतिशत ! इन आंकडों में कश्मीर में हिन्दुओं की जनसंख्‍या घटी जबकि जम्मू में बढी होना जाहिर नहीं हुआ ! अगर पुराने आंकडों की बात करें तो 1941 में संपूर्ण जम्मू और कश्मीर में मुस्लिम जनसंख्या 72.41 प्रतिशत और हिन्दुओं की जनसंख्या 25.01 प्रतिशत थी।
1989 के बाद कश्मीर घाटी में हिन्दुओं के साथ हुए नरसंहार से कश्मीरी पंडित और सिख भी वहां से पलायन कर गए। कश्मीर में वर्ष 1990 में हथियारबंद आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर-बार छोडकर चले गए। उस समय हुए नरसंहार में हजारों पंडितों का कत्लेआम हुआ था। बडी संख्या में महिलाओं और लडकियों के साथ बलात्कार हुए थे।
कश्मीर में हिन्दुओं पर हमलों का सिलसिला 1989 में जिहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी ने शुरू किया था जिसने कश्मीर में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया। आतंकी संघटन का नारा था- ‘हम सब एक, तुम भागो या मरो !’ इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड दी। करोडों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन-जायदाद छोडकर शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हो गए। हिंसा के प्रारंभिक दौर में 300 से अधिक हिन्दू महिलाओं और पुरुषों की हत्या हुई थी !
घाटी में कश्मीरी पंडितों के बुरे दिनों की शुरुआत 14 सितंबर 1989 से हुई थी। कश्मीर में आतंकवाद के चलते लगभग 7 लाख से अधिक कश्मीरी पंडित विस्थापित हो गए और वे जम्मू सहित देश के अन्य हिस्सों में जाकर रहने लगे। कभी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के एक क्षेत्र में हिन्दुओं और शियाओं की तादाद बहुत होती थी परंतु वर्तमान में वहां हिन्दू तो एक भी नहीं बचा और शिया समय-समय पर पलायन करके भारत में आते रहे जिनके आने का क्रम अभी भी जारी है !
विस्थापित कश्मीरी पंडितों का एक संघटन है ‘पनुन कश्मीर’ ! इसकी स्थापना सन 1990 के दिसंबर माह में की गई थी। इस संघटन की मांग है कि, कश्मीर के हिन्दुओं के लिए कश्मीर घाटी में अलग राज्य का निर्माण किया जाए। पनुन कश्मीर, कश्मीर का वह हिस्सा है, जहां घनीभूत रूप से कश्मीरी पंडित रहते थे। परंतु 1989 से 1995 के बीच नरसंहार का एक ऐसा दौर चला कि, पंडितों को कश्मीर से पलायन होने पर मजबूर होना पडा !
आंकडों के अनुसार, इस नरसंहार में 6,000 कश्मीरी पंडितों को मारा गया। 7,50,000 पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 1,500 मंदिर नष्ट कर दिए गए। कश्मीरी पंडितों के 600 गांवों को इस्लामी नाम दिया गया। केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के अब केवल 808 परिवार रह रहे हैं तथा उनके 59,442 पंजीकृत प्रवासी परिवार घाटी के बाहर रह रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन से पहले से पहले वहां उनके 430 मंदिर थे। अब इनमें से मात्र 260 सुरक्षित बचे हैं जिनमें से 170 मंदिर क्षतिग्रस्त हैं !
असम में हिन्दू :
असम कभी 100 प्रतिशत हिन्दू बहुल राज्य हुआ करता था ! हिंदू शैव और शाक्तों के अलावा यहां हिन्दुओं की कई जनजाति समूह भी थे। यहा वैष्णव संतों की भी लंबी परंपरा रही है। बौद्ध काल में जहां यहां पर बौद्ध, मुस्लिम काल में लोग मुस्लिम बने वहीं अंग्रेज काल में यहां के गरीब तबके के लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने की प्रक्रिया जारी रही !
2001 की जनगणना के अनुसार, अब यहां हिन्दुओं की संख्या 1,72,96,455, मुसलमानों की 82,40,611, ईसाई की 9,86,589, और सिखों की 22,519, बौद्धों की 51,029, जैनियों की 23,957 और 22,999 अन्य धार्मिक समुदायों से संबंधित थे। असम में मुस्लिम जनसंख्या 2001 में 30.9 प्रतिशत थी जबकि 2011 में बढकर वह 34.2 प्रतिशत हो गई। इसमें बाहरी मुस्लिमों की संख्‍या भी बताई जाती है।
असम में 27 जिले हैं जिसमें से असम के बारपेटा, करीमगंज, मोरीगांव, बोंगईगांव, नागांव, ढुबरी, हैलाकंडी, गोलपारा और डारंग 9 मुस्लिम बहुल जनसंख्यावाले जिले हैं, जहां आतंक का राज कायम है ! यहां बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ के चलते राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की जनसंख्या का संतुलन बिगड गया है। राज्‍य में असमी बोलनेवाले लोगों की संख्‍या कम हुई है। 2001 में 48.8 प्रतिशत लोग असमी बोलते थे जबकि अब इनकी संख्‍या घटकर अब 47 प्रतिशत रह गई है !
1971 के खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लाखों मुसलमानों को पडोसी देश भारत के पश्‍चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य (असम आदि) में और दूसरी और म्यांमार (बर्मा में) शरण लेनी पडी ! युद्ध शरणार्थी शिविरों में रहनेवाले मुसलमानों को सरकार की लापरवाही के चलते उनके देश भेजने का कोई उपाय नहीं किया गया। इसके चलते इन लोगों ने यहीं पर अपने पक्के घर बनाना शुरू कर दिए और फिर धीरे-धीरे पिछले चार दशक से जारी घुसपैठ के दौरान सभी बांग्लादेशियों ने मिलकर भूमि और जंगलों पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया !
धीरे-धीरे बांग्लादेशी मुसलमानों सहित स्थानीय मुसलमानों ने (बीटीएडी में) बोडो हिन्दुओं की खेती की 73 प्रतिशत जमीन पर कब्जा कर लिया अब बोडो के पास केवल 27 प्रतिशत जमीन है ! सरकार ने वोट की राजनीति के चलते कभी भी इस सामाजिक बदलाव पर ध्यान नहीं दिया जिसके चलते बोडो समुदाय के लोगों में असंतोष पनपा और फिर उन्होंने हथियार उठाना शुरू कर दिए। यह टकराव का सबसे बडा कारण है !
25 मार्च 1971 के बाद से लगातार अब तक असम में बांग्लादेशी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों का आना लगा रहा। असम ने पहले से ही 1951 से 1971 तक कई बांग्लादेशियों को शरण दी थी परंतु 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश के गठन के बाद से लगातार पश्‍चिम बंगाल और असम में बांग्लादेशी मुस्लिम और हिन्दू शरणार्थियों की समस्या जस की तस बनी हुई है !
असम के लोग अब अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए हैं। असम के इन लोगों में जहां हिन्दू जनजाति समूह के बोडो, खासी, दिमासा अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड रहे हैं वहीं अन्य स्थानीय असमी भी अब संकट में आ गए हैं और यह सब हुआ है भारत की वोट की राजनीति के चलते ! यहां माओवादी भी सक्रिय है जिनका संबंध मणिपुर और अरुणाचल के उग्रवादियों के साथ है। उन्हें नेपाल और बांग्लादेश के साथ ही भारतीय वामपंथ से सहयोग मिलता रहता है !
आधुनिक युग में यहां पर चाय के बाग में काम करनेवाले बंगाल, बिहार, उडीसा तथा अन्य प्रांतों से आए हुए कुलियों की संख्या प्रमुख हो गई जिसके चलते असम के जनजाती और आम असमी के लोगों के जहां रोजगार छूट गए वहीं वे अपने ही क्षेत्र में हाशिए पर चले गए। इसी के चलते राज्य में असंतोष शुरू हुआ और कई छोटे-छोटे उग्रवादी समूह बनें। इन उग्रवाद समूहों को कई दुश्मन देशों से सहयोग मिलता है ! वोट की राजनीति के चलते कांग्रेस और सीपीएम ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को असम, उत्तर पूर्वांचल और भारत के अन्य राज्यों में बसने दिया। बांग्लादेश से घुसपैठ कर यहां आकर बसे मुसलमानों को कभी यहां से निकाला नहीं गया और उनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड और अब आधार कार्ड भी बन गए ! दशकों से जारी इस घुसपैठ के चलते आज इनकी जनसंख्या असम में ही 1 करोड के आसपास है, जबकि पूरे भारत में ये यह फैलकर लगभग साढे तीन करोड के पार हो गए हैं ! यह भारतीय मुसलमानों में इस तरह घुलमिल गए हैं कि, अब इनकी पहचान भी मुश्किल होती है !
असम का एक बडा जनसंख्या वर्ग राज्य में अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों का है जो अनुमान से कहीं अधिक है और जो बांग्ला बोलता है। राज्य के अत्यधिक हिंसा प्रभावित जिलों कोकराझार व चिरांग में बडी संख्या में ये अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठी परिवार रहते हैं जिन्होंने स्थिति को बुरी तरह से बिगाड़ दिया है !
बांग्लादेशी घुसपैठिएं असम में भारत की हिन्दू अनुसूचित जाति एवं अन्य हिन्दुओं के खेत, घर और गांवों पर कब्जा करके हिन्दुओं को भगाने में लगे हुए हैं। कारबी, आंगलौंग, खासी, जयंतिया, बोडो, दिमासा एवं 50 से ज्यादा जनजाति के खेत, घर और जीवन पर निरंतर हमलों से खतरा बढता ही गया जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया। घुसपैठियों को स्थानीय सहयोग और राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है !
शिविर :
असम में जातीय हिंसा प्रभावित जिलों में बनाए गए 300 से ज्यादा राहत शिविरों में चार लाख शरणार्थियों की जिंदगी बदतर हो गई है ! कोकराझार के बाहर जहां बोडो हिन्दुओं के शिविर हैं वहीं धुबरी के बाहर बांग्लादेशी मुस्लिमों के शिविर है। कोकराझार, धुबरी, बोडो टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक (बीटीएडी) और आसपास के क्षेत्रों में फैली हिंसा के कारण से अपने घर छोडकर राहत शिविरों में पहुंचे लोग यहां भी भयभीत हैं शिविरों में शरणार्थियों की जिंदगी बद से बदतर हो गई है। शिविरों में क्षमता से ज्यादा लोगों के होने से पूरी व्यवस्था नाकाम साबित हो रही हैं। दूसरी ओर लोगों के रोजगार और धंधे बंद होने के कारण वह पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो गए हैं !
कहां कितने बांग्लादेशी :
2001 की आयबी की एक खु‍फिया रिपोर्ट के अनुसार, लगभग डेढ करोड से अधिक बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं जिसमें से 80 लाख पश्चिम बंगाल में और 50 लाख के लगभग असम में, बिहार के किसनगंज, साहेबगंज, कटियार और पूर्णिया जिलों में भी लगभग 4.5, देहली में 13 लाख, त्रिपुरा में 3.75 लाख और इसके अलावा नागालैंड व मिजोरम भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के किए शरणस्थली बने हुए हैं !
खुद को कहते हैं भारतीय :
1999 में नागालैंड में अवैध घुसपैठियों की संख्या जहाँ 20 हजार थी वहीं अब यह बढकर 80 हजार के पार हो गई है ! असम के 27 जिलों में से 8 में बांग्लादेशी मुसलमान बहुसंख्यक बन चुके हैं ! सर्चिंग के चलते अब बांग्लादेशी घुसपैठिए उक्त जगहों के अलावा भारत के उन राज्यों में भी रहने लगे हैं जो अपेक्षाकृत शांत और संदेह रहित है जैसे मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, गुजरात के बडौदा, अहमदाबाद, राजस्थान के जयपुर और उदयपुर, उडीसा, अंध्राप्रदेश आदि।
देश के अन्य राज्यों में मुस्लिमों के बीच छुप गए बांग्लादेशी अब खुद को पश्चिम बंगाल का कहते हैं !
स्त्रोत : वेब विश्व
all saints have been condemned, they worship their statue later

इतिहास देख लो वर्तमान में सभी संतों की निंदा हुई है, बाद में उनकी मूर्ति को पूजते हैं

इतिहास देख लो वर्तमान में सभी संतों की निंदा हुई है, बाद में उनकी मूर्ति को पूजते हैं
भारत देश ऋषि-मुनियों, साधु-संतों का देश रहा है, उनके ही मार्गदर्शन में राजसत्ता चलती थी, भगवान श्रीकृष्ण भी संदीपनी ऋषि के पास जाते थे, भगवान श्री राम भी उनके गुरु वशिष्ठ के पास से सलाह सूचन लेने के बाद ही कुछ निर्यण लेते थे, वर्तमान में भी देश सच्चे साधु-संतों के कारण ही देश में सुख-शांति है और देश की संस्कृति जीवित है।
conspiracy against saints

 

वर्तमान में विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया द्वारा एक कुचक्र चल रहा है जिसमें सभी हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है, इसमें अच्छे साधु-संतों को भी बदनाम किया जा रहा है और भारत की भोली जनता भी उन्हीं को सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं की निंदा करने लगी है और बोलते हैं कि पहले जैसे साधु-संत नहीं हैं पर अगर वे भगवान श्री राम के गुरु की योगवासिष्ठ महारामायण पढ़े तो उसमें लिखा है कि हे रामजी मैं बाजार से गुजरता हूँ तो मूर्ख लोग मेरे लिए न जाने क्या-क्या बोलते हैं पर मेरा दयालु स्वभाव है मैं सबको क्षमा कर देता हूँ ।
त्रेतायुग में भी भगवान रामजी जिनको पूजते थे उनको भी जनता ने नही छोड़ा तो आज तो कलयुग है लोगों की मति-गति छोटी है इसलिए साधु-संतों की निंदा करेंगे और उनके भक्तों को अंधभक्त ही बोलेंगे ।
आइये आपको बताते हैं पहले जो महापुरुष हो गए उनकी कैसी निंदा हुई और बाद में कैसे लोग पूजते गए..
स्वामी विवेकानंदजी
अत्याचार : ईसाई मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने प्रताप मजूमदार द्वारा दुश्चरित्रता, स्त्री-लम्पटता,  ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी आदि आरोप लगाकर अखबारों आदि के द्वारा बहुत बदनामी की गयी ।
परिणाम : काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थी उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही विजय हुई ।
(संदर्भ : युगनायक विवेकानंद, लेखक – स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 109, 112, 121, 122)
महात्मा बुद्ध
अत्याचार : सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी हत्या के आरोप लगाये गये और सर्वत्र घोर दुष्प्रचार हुआ ।
परिणाम : उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया । कुछ समय बाद महात्मा बुद्ध निर्दोष साबित हुए । लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं ।
(संदर्भ : लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, लेखक – पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25)
संत कबीरजी
अत्याचार : अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि कई घृणित आरोप लगाये गये और बादशाह सिकंदर के आदेश से कबीरजी को गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया ।
परिणाम : अंत में बादशाह ने माफी माँगी और शिष्य बन गया ।
(संदर्भ : कबीर दर्शन, लेखक – डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92 से 96)
संत नरसिंह मेहताजी
अत्याचार : जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार करने के आरोप लगाकर खूब बदनाम व प्रताड़ित किया गया ।
परिणाम : नरसिंह मेहताजी निर्दोष साबित हुए । आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र हो रहे हैं ।    (संदर्भ : भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन – गीताप्रेस)
स्वामी रामतीर्थ
अत्याचार : पादरियों और मिशनरियों ने लड़कियों को भेजकर दुश्चरित्र सिद्ध करने के षड्यंत्र रचे और खूब बदनामी की । जान से मार डालने की धमकी एवं अन्य कई प्रताड़नाएँ दी गयी।
परिणाम : स्वामी रामतीर्थजी के सामने बड़ी-बड़ी मिशनरी निरुत्तर हो गई। उनके द्वारा प्रचारित वैदिक संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से अनेकों का जीवन आलोकित हुआ ।
(संदर्भ : राम जीवन चित्रावली,  रामतीर्थ प्रतिष्ठान, पृष्ठ 67 से 72)
संत ज्ञानेश्वर महाराज
अत्याचार : कई वर्षों तक समाज से बहिष्कृत करके बहुत अपमान व निंदा की गयी । इनके माता-पिता को 22 वर्षों तक कभी तृण-पत्ते खाकर और कभी केवल जल या वायु पीके जीवन-निर्वाह करना पड़ा । ऐसी यातनाएँ ज्ञानेश्वरजी को भी सहनी पड़ी ।
परिणाम : लाखों-करोड़ों लोग आज भी संत ज्ञानेश्वर जी द्वारा रचित ‘ज्ञानेश्वरी गीता’ को श्रद्धा से पढ़-सुन के अपने हृदय में ज्ञान-भक्ति की ज्योति जगाते हैं और उनका आदर-पूजन करते हैं ।
(संदर्भ : श्री ज्ञानेश्वर चरित्र और ग्रंथ विवेचन, लेखक – ल.रा. पांगारकर, पृष्ठ 32, 33, 38)
भक्तिमती मीराबाई
अत्याचार : चरित्रभ्रष्टता का आरोप लगाया गया । कभी नाग भेजकर तो कभी विष पिला के, कभी भूखे शेर के सामने भेजकर तो कभी तलवार चला के जान से मारने के दुष्प्रयास हुए ।
परिणाम : जान से मारने के सभी दुष्प्रयास विफल हुए । मीराबाई के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती गयी । उनके गाये पदोें को पढ़-सुनकर एवं गा के आज भी लोगों के विकार मिटते हैं, भक्ति बढ़ती है ।
सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से समाज को जगाने का प्रयास किया है, तब-तब उनको विधर्मी ताकतों के द्वारा बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किये गये हैं ।
जिनमें वे हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर हिन्दू संतों के खिलाफ दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं ।
यह हिन्दुओं की दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते । इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं ।
अतः हिन्दू सावधान रहें ।
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संजय राउत ने बोला संत मुक्त भारत होना चाहिए, जनता बोली संत नही नेता मुक्त होना चाहिए

अगस्त 5, 2017
मीडिया में अभी हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ खूब जहर उगला जा रहा है जैसे कि सबसे बड़े अपराधी साधु-संत ही हैं लेकिन अगर हिन्दू थोड़ा भी विचार करेगा तो पता चलेगा कि यह केवल विदेशी ताकतों द्वारा बदनाम करने का एक षड़यंत्र है जिसमें कई राजनैतिक पार्टियां भी शामिल हैं ।
भारत भूमि ऋषि-मुनियों, साधु-संतों की भूमि रही है और विदेशी ताकतें समझ रही हैं कि अगर भारतवासियों की नाभि में छेद करो तो तुरतं काम हो जायेगा, अधिकतर भारतवासियों की आस्था किसी न किसी साधु-संत में होती है क्योंकि वहीं हमें भारतीय संस्कृति का ज्ञान देते हैं और हमें अच्छे रास्ते चलने की प्रेरणा देते हैं जिससे विदेशी कंपनियों का प्रोडक्ट बिकता नही है और ईसाई मिशनरियां एवं मौलवी आसानी से धर्मान्तरण करवा नही पाते है इसलिए हिन्दू साधु-संतों को मीडिया द्वारा बदनाम करवाते है।

जैसा कि हमनें पहले भी बताया है कि अधिकतर मीडिया के मालिक विदेश के हैं, फिर सेक्युलर नेता भी टीआरपी के लिए उनके खिलाफ बयान बाजी करने लगते हैं ।

controversial stament of sanjay raut

 

ऐसे ही शिवसेना के सामना अखबार में सांसद संजय राउत का लेख आया था कि भारत साधु-संत,महाराज मुक्त होना चाहिए जिसकी सोशल मीडिया पर लोगो ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि…

भारत साधु-संतों की भूमि है, तुम्हारे जैसे भ्रष्ट नेताओं से मुक्त भारत होना चाहिए तभी भारत विकास कर पायेगा, नेता भारत की संपत्ति हड़प लेते हैं और दोष संतो को देते हैं, आगे बोला कि हिम्मत है तो मौलवी या पादरी मुक्त भारत बोलकर दिखाओ ।

संजय राउत ने पहली बार टिप्पणी नही की है उससे पहले भी की थी तो जैन मुनि आचार्य सूर्य सागर ने चेतावनी भी दी थी उनको ।
आइये जानते है क्या कहा था आचार्य जी ने…
तंबाकू गुटखा सेवन करके कैमरे के सामने आकर बड़बड़ाहट और अपनी खुजली से अपनी जुबान को शांत करने वाला संजय राउत मैं तुझे इतनी बात कहना चाहता हूँ कि तूने किस आधार से एक जैन मुनि को जोकर कहा ?
जोकर तो तुम ही नजर आते हो ।
हम लोग आप जैसे छिछोरे लोगों की बातों को सुनकर के चुपचाप से बैठ जाए ऐसे नहीं हैं, तुम्हें निष्काषित करने के लिए सामर्थ्य हम रखते हैं ।
बौखलाहट नजर आ रही है। पिछली बार नगर पालिका के चुनावों में आप लोग हार गए और आगे भी तुम लोगों का नामोनिशान मिट जाने वाला है, शवसेना होने वाली है, तुम्हारी शिवसेना नही रहेगी।
तुमने कहा, साधु होकर ये साधु तो मुझे साधु नजर नहीं आता,
तेरे लाइसेंस और तेरे प्रमाणिक करने से साधु साधु हो जाएगा?
मुझे तो तेरे में ही कोई गुण नजर नहीं आता है,पूरे के पूरे अवगुण भरे नजर आते हैं,कौनसा ऐसा धर्म का कार्य आज तक आपकी शिवसेना के द्वारा हुआ है ? जालीदार टोपी पहन करके धर्म का प्रचार नहीं होता, कट्टरता होनी आवश्यक होती है।
जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने सभी संप्रदायों को साथ ले करकेे हिंदुस्तान की, भारत की,महाराष्ट्र की नींव रखी वह नींव आप नहीं रख पा रहे हो।
आपके बालासाहेब जब स्वर्ग से देखते होंगे ना आप की लीलाओं को तो बड़े दुखी हो रहे होंगे और लालायित हो रहे होंगे कि कब मैं धरती पर जाकर के तुम जैसे को दो चांटे और दो लप्पड़ मारु, और वह समय आएगा।
तुमने कहा कि साधुओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए, जरा शास्त्रों को, हमारी पूर्व परंपराओं को सही ढंग से पढ़ो लेकिन तुम्हारे संस्कार ही नहीं,तुम क्या पढ़ोगे? बस तुम्हें बेफिजूल बकबक करके हाईलाइट होना है, तुम्हें कोई जानता ही नहीं उल्टा तुम लोग कुप्रख्यात हो रहे हो, सुप्रख्यात नहीं हो रहे हो।
साधुओं ने ही इस देश को बचाया है इस भारत भूमि को बचाया है,आचार्य चाणक्य ने बचाया है,सम्राट पृथ्वीराज चौहान के गुरु भी एक सन्यासी थे उन्होंने इस संसार को बचाया है । आदित्यनाथ योगी नाम तो सुना है ना? उनके नाम से भी आपको बहुत खट्टापन महसूस होता है वह तो एक सन्यासी हैं। मंदिर की घंटी बजाते हुए आज उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े तख्ते पर वो विराजमान हो गए। नीति और न्याय का साथ देकर , नीति न्याय का साथ लेकर के योगी आदित्यनाथ योगी उत्तर प्रदेश के CM बने हैं।
शब्दों को सही सलामत ढंग से इस्तेमाल करने की जो क्षमता है उसे अपने ह्रदय में पहले स्थापित तो करो बाद में नेता बनो गुटखा खाकर के कोई नेता नहीं बनता तुम जैसे चरित्रहीन नेताओं के कारण पूरी शिवसेना पूरा नेता समाज बदनाम हो रहा है।
उद्धव ठाकरे जी,मैं आपसे एक अपील करना चाहता हूँ कि इस संजय राउत के खिलाफ आप कुछ ना कुछ एक्शन लें, वरना एक्शन लेने के लिए कुछ-न-कुछ तो मसले सामने आएंगे एक्शन परमात्मा भी लेगा और परमात्मा के दूत भी लेंगे।
जाकिर नायक का तो कुछ नहीं उखाड़ पाए तुम लोग और तुम हमारे  साधुओं की भाषा शैली पर जाते हो अरे वर्तमान की स्थिति यही है कि हमें इस आधार से बोलना पड़ता है जब तुम हमें नहीं छोड़ेंगे तो हम क्यों छोड़ेंगे ?
तुम हमें मत छेड़ो,हम तुम्हे नहीं छेड़ेंगे , तुम हमें छेड़ोगे तो हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं।
आपको बता दें कि अभी सोशल मीडिया पर संजय राउत के खिलाफ खूब आक्रोश है, जनता उनके खिलाफ खूब प्रतिक्रिया दे रही है।
“जिस देश में संत फकीरों का होता आदर सम्मान है,
जहाँ मात-पिता और गुरुओं की सेवा करता इंसान है,
वो देश हमारा भारत है,उस देश की धरती को नमन!!”
जय हिन्द !!